डॉ दिलीप अग्निहोत्री
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आध्यात्मिक चेतना और समाज सेवा के संस्कार अपने पूर्व आश्रम में ही मिले थे। यह सब उनके लिए सिद्धांतो तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने ने इसे अपने आचरण से चरितार्थ किया है। आध्यात्मिक चेतना संस्कार के प्रभाव से ही उन्होंने सहज रूप में सन्यास की दीक्षा ली थी। इसके नियमों का पालन वह आज भी कर रहे है। लेकिन इसी के साथ समाज सेवा का भी संस्कार उन्हें मिला था। इसका भी वह पिछले कई दशकों से निर्वाह कर रहे है। अर्थात उन्होने सन्यास व समाज सेवा के प्रति अद्भुत सामंजस्य स्थापित किया है। इसी का प्रभाव है कि वह अपने पूर्व आश्रम के जन्मदाता के निधन के समाचार सुनकर वह द्रवित तो होते है, लेकिन विचलित नहीं होते। वह समाज हित के लिए अधिकारियों के साथ अपनी अति आवश्यक बैठक के समय में कोई बदलाव नहीं करते, मुंह पर मास्क लगाए रखते है। यह प्रयास करते है कि उनके मनोभाव का कोई अनुमान न लगा सके। वह लॉक डाउन के नियमों का स्वयं पालन करते है, प्रदेश के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत करते है। यह प्रमाणित करते है कि पूर्व आश्रम के पुत्रधर्म की अपेक्षा तेईस करोड़ जनसँख्या वाले प्रदेश का राजधर्म अधिक महत्वपूर्ण है। उस बैठक में कोरोना के मद्देनजर अनेक महत्वपूर्ण निर्णय किये गए थे।
यह क्रम नियमित रूप से जारी रहा। कोरोना से मुकाबले हेतु बनी टीम इलेवन के अधिकारी उनके पूर्व आश्रम के जन्मदाता के प्रति शोक व्यक्त करने हेतु मुख्यमंत्री आवास पर पहुंचते है, योगी पहले बैठक करते है,जनहित के निर्णय लेते है, तीन,एक्सप्रेस वे पर कार्य शुरू करने की योजना बनाते है। इसके बाद शोक व्यक्त किया जाता है। अगले दिन मंत्रियों अधिकारियों के साथ बैठक होती है। कोरोना आपदा राहत के संदर्भ में निर्णय होते है,इसके बाद शोक व्यक्त किया जाता है। राजधर्म के निर्वाह की मिसाल कायम होती है।
राजधर्म निर्वाह के बाद योगी के भीतर दबी वेदना प्रकट होती है। वह स्मृतियों को साझा करते है। सन्यास लेने के बाद भी पूर्व आश्रम के जन्मदाता का महत्व तो रहता ही है। बचपन की अनगिनत स्मृतियां रही होंगी, डांट,मार भी मिली होगी, दुलार भी मिला होगा। उनको स्वयं अभाव में रहकर बच्चों की जरूरत पूरी करते देखा होगा। योगी के मन मस्तिष्क में यह सब चित्र उभरे होंगे। कहा कि उनके पूर्वाश्रम के जन्मदाता श्रद्धेय श्री आनन्द सिंह बिष्ट जी ने उन्हें संस्कार मिले। ईमानदारी,कठोर परिश्रम तथा निःस्वार्थ भाव से लोक हित करने की प्रेरणा मिली। महिलाओं के सम्मान का विचार मिला। बचपन से ही इन संस्कारों पर अमल का योगी ने संकल्प लिया था। सन्यास ग्रहण करने के बाद यह संस्कार सुदृढ हुए। योगी ने कहा कि उनके लौकिक पिताजी अनेक सामाजिक एवं आध्यात्मिक गतिविधियों से सम्बद्ध रहे थे। शिक्षा के प्रसार के प्रति उन्होंने आजीवन कार्य किया। उन्होंने ग्राम पंचायत में अपनी भूमि पर प्राइमरी स्कूल का निर्माण करवाकर तत्पश्चात जूनियर हाईस्कूल का निर्माण करवाया। दो दशक पहले ही अपनी सम्पत्ति से एक महाविद्यालय की स्थापना करवाई। उन्होंने इसे भी उत्तराखण्ड सरकार को समर्पित कर दिया। सम्पत्ति के प्रति अनाशक्ति व त्याग का यह भाव भी योगी को अपने लौकिक पिता से ही मिला होगा। श्री आनन्द सिंह बिष्ट जी के देवलोकगमन पर प्रदेश मंत्रिमण्डल के सदस्यों एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की तथा मुख्यमंत्री के प्रति संवेदना व्यक्त की।
उल्लेखनीय है कि शोक व्यक्त करने के ठीक पहले तक योगी राजधर्म का निर्वाह कर रहे थे। उनकी चिंता उत्तर प्रदेश को कोरोना मुक्त बनाने व लॉक डाउन में जरूरतमंदों की सहायता को लेकर थी। इस के मद्देनजर रणनीति बनाने के उद्देश्य से उनके सरकारी आवास पर एक बैठक हुई। इसमें मंत्रिमण्डल के सदस्य, संगठन के पदाधिकारी व अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। योगी ने कहा कि प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में प्रभावी कार्यवाही कर रही है। चिकित्सा सुविधा को सुदृढ़ करने के साथ साथ लाॅक डाउन का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराया जा रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग पर पूरा बल दिया जा रहा है। समाज के गरीब व कमजोर वर्गों के हितार्थ अनेक कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। भारत सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए कोरोना से अप्रभावित जनपदों में औद्योगिक गतिविधियों को प्रारम्भ कराया गया है। योगी ने कोरोना वायरस के इलाज में लगे स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला करने वालों को कड़ी सजा दिलाने के लिए केन्द्रीय मंत्रिपरिषद द्वारा अध्यादेश लागू कराए जाने के निर्णय पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को बधाई दी। कहा कि प्रधानमंत्री जी कोरोना वाॅरियर्स के सम्मान, सुरक्षा और गरिमा के लिए प्रतिबद्ध हैं। केन्द्र सरकार का यह निर्णय उनकी इसी प्रतिबद्धता का एक उदाहरण है। इस अध्यादेश के लागू होने से कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला करने वालों के खिलाफ अब प्रभावी कार्रवाई की जा सकेगी। केन्द्र सरकार द्वारा लागू किए जा रहे इस अध्यादेश से स्वास्थ्य कर्मियों का मनोबल बढ़ेगा।