- जंग के केंद्र में होंगी गौरी गणेश की मूर्तियां
- उत्पादन बढ़ाने, गुणवत्ता सुधारने के लिए सांचे और आटो मशीन का होगा उपयोग
- कोलकाता से आएगा मूर्तियों का सांचा, गुजरात से दीपक बनाने की मशीन
- गोरखपुर, लखनऊ और वाराणसी में दिये जाएंगे 50-50 सांचे
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा है कि अबकी दीवाली में चीन से बनी गौरी-गणेश की मूर्तियों की जगह स्थानीय स्तर बनी मूर्तियों की ही बिक्री हो। मुख्यमंत्री की इस मंशा को साकार करने के लिए माटी कला बोर्ड ने पहल शुरू कर दी है।
ये हैं जंग के कमांडर
फिलहाल बाजार की इस जंग में गोरखपुर के अरविंद प्रजापति, सिब्बन प्रजापति, लालमन प्रजापति, हरिओम आजाद, लखनऊ के जयकिशोर गुप्ता, अमरपाल, प्रेमसागर राजपूत, संजय कुमार, चंदन राजपूत, अमित कुमार राजपूत, आजाद कुमार (सभी मूर्तिकार) लखनऊ के ही मूर्तिकला विशेषज्ञ कृष्ण कुमार श्रीवास्तव, यूपीआईडी (उप्र इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन) की डिजाइनर सारिका वर्मा और वंदना प्रजापति कमांडर की भूमिका में होंगे। इनके ही निर्देशन में मॉडल तैयार होंगे। मॉडल के अनुसार सांचे, स्प्रे और ऑटोमैटिक मंगाकर इस विधा से जुड़े लोगों को दिये जाएंगे। साथ ही यह लोग स्थानीय स्तर पर उत्पाद तैयार करने वालों को प्रशिक्षण भी देंगे।
ऐसे होगा मुकाबला
पिछले दिनों माटी कला बोर्ड के महाप्रबंधक और प्रमुख सचिव सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) नवनीत सहगल की अध्यक्षता में इस बाबत बैठक हो चुकी है। तय हुआ कि गौरी-गणेश की मूर्तियां और डिजाइनर दीये बनाने में अगर चीन के इन उत्पादों से गुणवत्ता और दाम में मुकाबला करना है तो तीन चीजें जरूरी हैं। जिस साइज (8 से 12 इंच)की मूर्तियों की सर्वाधिक मांग रहती उनका खूबसूरत मॉडल विशेषज्ञ तैयार करें। इन मूर्तियों को लिये प्लास्टर ऑफ पेरिस का सांचा मंगाया जाय, बेहतर फिनिश के साथ उत्पादन बढ़ाने के लिए आटोमैटिक मशीन का उपयोग हो।
मॉडल तैयार करेंगे जाने-माने मूर्तिकार
यह भी तय हुआ कि मूर्तियों का मॉडल मूर्तिकला विशेषज्ञ कृष्ण कुमार श्रीवास्तव तैयार करेंगे। इसका सांचा कोलकाता से आएगा। मॉडल जिले के रूप में चयनित गोरखपुर, वाराणसी और लखनऊ के मूर्तिकारों को 50-50 सांचे माटी कला बोर्ड की ओर से उपलब्ध कराए जाएंगे। इसी तरह दीपक बनाने और उस पर स्प्रे करने की मशीन गुजरात के पानगढ़ से मंगाने का निर्णय लिया गया।
स्थानीय स्तर पर मिलेगा प्रशिक्षण
चूंकि मिट्टी बनाने का काम क्लस्टर में होता है। मिट्टी लाने से लेकर उसकी तैयारी, उत्पादन बनाने और उसकी प्रोसेसिंग से लेकर बाजार तक पहुंचाने में परिवार के अन्य सदस्यों का भी योगदान होता है। लिहाजा विशेष स्थानीय स्तर पर उनको प्रशिक्षण देंगे। जहां पर पग मिल, इलेट्रिक चॉक और गैस चालित भट्ठी की जरूरत हो उसको भी मुहैया कराने का आदेश भी महाप्रबंधक ने दिया।
मूर्तिकला में विशेषज्ञता के साथ फाइन आर्ट से एमए करने वाले केके श्रीवास्तव के मुताबिक हम चीन से बेहतर कर सकते हैं। चीन का नजरिया सिर्फ व्यवसायिक है, हम जो करेंगे वह दिल से करेंगे। इसकी वजहें हैं। मसलन दीपावली हमारा पर्व है। इस दिन पूजे जाने वाले गौरी-गणेश हमारे आराध्य हैं। इसीलिए हम जो करेंगे वह दिल से करेंगे। स्वाभाविक है कि हमारे काम में उनसे कहीं अधिक परफेक्शन रहेगा।
मूर्तिकला में विशेषज्ञता के साथ फाइन आर्ट से ही एमए करने वाले अमरपाल का कहना है कि पहली बार सूबे के किसी मुखिया ने मिट्टी से जुड़े कलाकारों के बारे में इतना सोचा है। ऐसे में उनकी मंशा पर खरा उतरना हमारा फर्ज है। हम शुरुआत भी कर चुके हैं। तय साइज में गौरी-गणेश की मूर्तियों के चार-पांच मॉडल जल्दी ही तैयार हो जाएंगे।