- तमाम दावों के बावजूद राजधानी के औद्योगिक क्षेत्र बदहाल, नाली -नाला-जलनिकासी की समस्याओं से जूझ रहे उद्यमी
- उप्र औद्योगिक विकास निगम तंत्र का दावा बजट के लिये मुख्यालय भेजा गया प्रस्ताव
- बजट मिलते ही दूर होंगी औद्योगिक क्षेत्रों की समस्यायें
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। सूबे के औद्योगिक क्षेत्रों की खस्ताहाल सडक़ों पर पैबन्द लगाने के लिये अब गड्ढा मुक्त अभियान चलाया जायेगा। इस अभियान के तहत औद्योगिक क्षेत्रों में फौरी तौर पर उद्यमियों को राहत दिलाने की योजना है। यूपीएसआईडीसी के प्रबंध निदेशक आरके सिंह ने इस संबंध में आदेश जारी कर जल्द से जल्द औद्योगिक क्षेत्रों की सडक़ें दुरुस्त करने को कहा है।
प्रदेश में औद्योगिक निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये उद्यमियों व निवेशकों को कई सहूलियतें मुहैया कराने वाले तमाम सरकारी दावों के बावजूद अधिकतर औद्योगिक क्षेत्र बदहाल हैं। औद्योगिक क्षेत्रों की खस्ताहाल सडक़ें, बजबजाती नाली-नाला, बदहाल पार्क और रामभरोसे जलनिकासी आदि जैसी मूलभूत सुविधाओं से आज भी उद्यमी जूझ रहे हैं। प्रदेश की राजधानी स्थित औद्योगिक क्षेत्र भी इससे अछूते नहीं हैं। उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम तंत्र का दावा है कि बजट के अभाव में औद्योगिक क्षेत्रों में विकास कार्य प्रभावित है। ऐसे में उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास निगम के प्रबंध निदेशक राजेश कुमार सिंह ने मातहतों को औद्योगिक क्षेत्रों की सडक़ों के गढ्ढों को भरने के लिये अभियान चलाने के निर्देश दिये हैं।
गौरतलब है कि राजधानी के सरोजनी नगर और अमौसी औद्योगिक क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं का टोटा है। यहां जगह-जगह जलभराव, बदहाल सडक़ें और गंदगी का अंबार दिखाई देता है। अमौसी औद्योगिक क्षेत्र की मुख्य सडक़ जगह-जगह गड्ढïों में खो चुकी है। औद्योगिक क्षेत्र की जलनिकासी रामभरोसे है। ओवरफ्लों नालों को देख सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीते लम्बे समय से इन बजबजाते नालों की सफाई नहीं हुई है। अमौसी औद्योगिक क्षेत्र के पार्कों की सूरत देखने योग्य नहीं है। यहां के पार्क सीवेज, ड्रेनेज और बरसाती पानी के ‘पूल’ में परिवॢतत हो चुके हैं, जिसमें शासन-प्रशासन के दावे गोते लगा रहे हैं। वैसे औद्योगिक क्षेत्रों का उद्धार करने वाले दावों और वादों का राग नया नहीं है।
उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास निगम प्रबंध तंत्र समय-समय पर नई-नई योजनायें व कार्यक्रम बनाकर औद्योगिक क्षेत्रों की स्वच्छता और बेहतरी की ढपली जोर-शोर से पीटता रहा है। पर, यह सभी दावे प्रारंभिक काल में ही दम तोड़ते रहे हैं। नतीजतन, औद्योगिक क्षेत्रों की सडक़ें, नाले-नालियों सहित पार्कों व हरित पट्टियों पर बदहाली का ग्रहण लगता रहा है। सूबे के औद्योगिक क्षेत्रों की सूरत बदलने के लिये निगम के तत्कालीन प्रबंध निदेशक ने जिस स्वच्छ औद्योगिक क्षेत्र योजना की शुरुआत की थी, उनके जाते ही वह दम तोड़ गई। इस योजना के तहत औद्योगिक क्षेत्रों को स्वच्छ बनाकर बेहतर वातावरण, आॢथक समृद्धि एवं स्वास्थ्य के लिये अनुकूल परिस्थितियों में उद्योग संचालन को प्रोत्साहित किया जाना था। एक मोबाइल एप्लिकेशन भी विकसित होना था। बहरहाल, सूबे की बात छोडिय़े राजधानी के औद्योगिक क्षेत्रों में सडक़ों, नालियों, पार्कों और हरित पट्टियों की बदहाली कब तक दूर होगी, उद्यमियों को अब यह यक्ष प्रश्न लगने लगा है, जिसके जवाब का उन्हें बेसब्री से इंतजार है।