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राजधानी की सडक़ों पर ‘ऑटोराज’

  • टेम्पो-ऑटो और ई-रिक्शा की मनमानी, यातायात नियमों पर पड़ रही भारी
  • सवारियां ठूंसना और मनमानी वसूली नई बात नहीं
  • ऑटो में तीन की जगह सात, तो टेम्पों में लटकते मिलते हैं यात्री
  • निर्धारित संख्या से दोगुना यात्री करते हैं सफर
  • यात्रा के दौरान महिलाओं को होती है अत्याधिक परेशानी

charbagh (21)शैलेन्द्र यादव/पंकज पाण्डेय

लखनऊ। राजधानी की सडक़ों पर फर्राटा भरने वाले अधिकतर ऑटो-टेम्पो, ई-रिक्शा यातायात नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा  रहे हैं। यातायात नियमों को दरकिनार कर ऑटो-टेम्पो, ई-रिक्शा में ओवर लोडिंग करना, अनियंत्रित ऑटो चलाना, फिर लहराते हुए भगाना, अचानक सडक़ पर कहीं भी खड़े हो जाना, पूरा ऑटो-टेम्पो भरे बिना आगे न बढऩा और सवारियों से इंतजार करवाना आदि-आदि पहचान है राजधानी की सडक़ों पर चलने वाले ऑटो-टेम्पो और ई-रिक्शा की। सार्वजनिक परिवहन से संबंधित नियम और कोड ऑफ कंडक्ट का पालन राजधानी की सडक़ों पर तमाम प्रयासों के बावजूद अब तक दूर की कौड़ी है।

यात्रियों से अनुरोध किया है कि वे ऑटो, टेम्पो-टैक्सी एवं ई-रिक्शा चालकों द्वारा निर्धारित किराये से अधिक वसूलने पर इसकी शिकायत सम्भागीय परिवहन अधिकारियों से करें। अधिक किराया वसूलने पर संबंधित वाहन स्वामियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पी. गुरुप्रसाद, परिवहन आयुक्त

जानकारों की मानें तो चारबाग से अमीनाबाद जाने वाली सडक़ के दोनो किनारों पर लोहे की बैरीकेटिंग कर टेम्पो जोन इसीलिए बनाया गया था कि सडक़ पर बेतरतीब खड़े ऑटो-टेम्पो से लगने वाले स्थायी जाम से क्षेत्र को निजात मिलेगी। पर, वर्तमान में भी हालात पुराने जैसे ही हैं। ऑटो-टेम्पो व ई-रिक्शा की मनमानी यहां बदतर स्थिति बनाये है। क्यों इनको संजीदगी से रोका नहीं जाता, यह प्रश्न गंभीर है? टेम्पो के इंतजार में खड़े एक यात्री के यह शब्द कि ‘इतनी ज्यादा सवारियां बैठाते हैं कि लटककर बैठना पड़ता है। पर, मजबूरी है। क्या किया जा सकता है? आमजन की मजबूर मुद्रा को बखूबी बयां करते हैं।

जल्द ही इस संबंध में विभागीय वरिष्ठï अधिकारियों के निर्देशन में व्यापक अभियान चलेगा। सार्वजनिक परिवहन से संबंधित शिकायतों के त्वरित निस्तारण हेतु ट्रैफिक पुलिस संजीदगी से अभियान चलाएगी। यातायात नियमों का अक्षरश: पालन सुनिश्चित कराया जायेगा।
रविशंकर निम, एसपी, ट्रैफिक

ऑटो-टेम्पो व ई-रिक्शा चालकों की मनमानी परखने के लिये बिजनेस लिंक टीम ने चारबाग से हजरतगंज, आईटी चौराहा, कपूरथला, इंजीनियरिंग कालेज चौराहा के साथ ही सदर और नीलमथा तक चलने वाले ऑटो-टेम्पो का पीछा किया, इस दौरान इनकी मनमानी की पराकाष्ठा बखूबी दिखी। नियमानुसार ऑटो में तीन सवारियां ही यात्रा कर सकती हैं। इसी प्रकार टेम्पो में 6 और ई-रिक्शा में चार। लेकिन राजधानी की सडक़ों पर चलने वाले किसी ऑटो, टेम्पो व ई-रिक्शा में यह निमय लागू होते दिखाई नहीं देते हैं। एक ऑटो में सात-सात यात्रियों को बैठाकर राजधानी के वीवीआईपी क्षेत्रों में तैनात पुलिस-प्रशासन के जिम्मेदारों की नाक के नीचे यह दिन-रात फर्राटा भरते हैं।

अक्सर इनकी मनमानी का शिकार हम लोग होते हैं। ऑटो की पिछली सीट पर तीन लोग तो ठीक से बैठ नहीं पाते, पर ये चार-चार और अपनी दाये-बाये एक-एक यात्री को लटकाने से भी परहेज नहीं करते। हास्यास्पद है कि आरटीओ, यातायात पुलिस तमाशबीन की मुद्रा में निहारती रहती है।
मनोज कुमार, कल्याणपुर

टेम्पो व ई-रिक्शा का हाल भी कमोवेश यही है। टेम्पो में निर्धारित 6 की जगह 11-12 सवारियां, तो ई-रिक्शा में चार की जगह 8-9 सवारियां बैठायी जाती हैं। ई-रिक्शा में तो किराया राउंड फीगर में वसूला जाता है। लेकिन, यह प्रशासनिक अधिकारियों को दिखाई नहीं देता? यात्रियों का कहना है कि कम से कम ऑटो-टेम्पो व ई-रिक्शा चालकों से लेन का ध्यान रखने, सही स्थान पर पार्किंग और सवारियों को उतारने-बिठाने आदि जैसे सामान्य ट्रैफिक नियमों का पालन तो करवाया ही जाना चाहिये। साथ ही यात्रियों के साथ किये जाने वाले व्यवहार पर भी ध्यान दिया जाना चाहिये। अक्सर पुलिस को ऐसी शिकायतें मिलती भी हैं। पर, ऑटो-टेम्पो और ई-रिक्शा ट्रैफिक रूल्स फॉलो न करके खुलेआम राजधानी की सडक़ों पर ओवर लोडिग़ का धंधा चमकाये हैं। इससे यात्रियों को परेशानी तो होती ही है, अक्सर हादसे भी होते हैं। फिर भी इस गोरखधंधे पर लगाम लगती नहीं दिखाई देती। कारण ‘ऑटोराज’ है।

ऑटो, टैम्पों और ई-रिक्शा वाले सिर्फ मनमाना किराया ही नहीं वसूलते, बल्कि वह शिकायत करने पर लडऩे को तैयार हो जाते हैं।
संजना गर्ग, सदर

यात्रियों से मनमानी वसूली कोई नई बात नहीं है। इसे रोकने के लिये समय-समय पर कायदे-कानून में जरूर रद्दोबदल होती रही। पर, यह मनमानी बदस्तूर जारी है। चारबाग से परिवर्तन चौराहे तक के लिये कोई ऑटो पन्द्रह रुपये वसूलता है, तो कोई 20 रुपये। ऑटो रिजर्व कराने पर कोई 150 रुपये मांगता है तो कोई 200 रुपये। इस मनमानी वसूली पर पाबंदी लगाने के लिये एक बार फिर सख्त कार्रवाई का ऐलान किया गया है। बीते दिनों परिवहन आयुक्त पी. गुरू प्रसाद ने यात्रियों से मनमाना किराया वसूलने की शिकायतों को गम्भीरता से लेते हुए वाहन स्वामियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। सभी वाहनों में किराये की दरें प्रदॢशत करना फिर आवश्यक किया गया है।

ऑटो-टैम्पों में सवारियां इतनी अधिक भर लेते हैं। इससे खासकर महिलाओं को अत्यधिक विषम परिस्थितियों से गुजरना पड़ता हैं।
मोनिका सिंह, हुसैनगंज

परमिट 760 रेडियो टैक्सियों का, पर चल रही लगभग दो हजार
शहर में लोगों की सुविधा के लिए 2013 में रेडियो टैक्सी की शुरुआत की गयी। परिवहन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक शहर में 760 रेडियो टैक्सी के परमिट जारी किये गये हैं। पर, शहर में ओला-उबर की करीब 2000 कैब चलाई जा रही है। इनमें ओला की करीब 500 टैक्सी कैब ऐसी हैं जो डीजल से चल रही हैं। यही नहीं, हजारों की संख्या में टैक्सी कैब ऐसी हैं जो आउटस्टेशन के नाम पर रजिस्टर्ड हैं और शहर में संचालित हो रही हैं। इस ओर आरटीओ भी पूरी तरह से आंखे मूंदे हुए हैं।

अधिक सवारियां बैठाने के चलते ऑटो-टैम्पों में बाहर गिरने का डर भी रहता है। कई बार ऐसी घटनाएं हुई भी हैं। पर, शिकायत के बाद भी कोई मानने को तैयार नहीं।
राहुल यादव, नीलमथा

ऑटो-टेम्पो के 6,800 परमिट
राजधानी में सार्वजनिक परिवहन के साधन ऑटो-टेम्पो करीब 6,800 की संख्या में रजिस्टर्ड हैं। आरटीओ में रजिस्टर्ड ऑटो-टेम्पो की संख्या के मुकाबले शहर की सडक़ों पर ये दोगुनी संख्या में दौड़ रहे हैं। राजधानी में लंबे समय से ऑटो-टेम्पो के नये परमिट पर बैन लगा हुआ है। बावजूद इसके अवैध रुप से संचालित ऑटो-टेम्पो की संख्या में दिन-ब-दिन इजाफा हो रहा है। इनमें भी बहुतेरे ऐसे हैं, जिनके नंबर एक ही हैं। बावजूद इसके अवैध ऑटो-टेम्पो धड़ल्ले से यात्री ढो रहे हैं। इन पर अंकुश लगाने की जहमत न आरटीओ प्रवर्तन ने उठाई और न पुलिस-यातायात पुलिस ही उठा रही है।

ऑटो वाले मनमाना किराया वसूलते हैं। सवारियां भी रूल्स के मुताबिक नहीं बैठाते। यदि कोई टोकता है, तो लडऩे से भी बाज नहीं आते। अब इनसे लड़ों या आगे बढ़ो।
विक्रान्त सिंह, चारबाग

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