- स्वदेशी आंदोलन महज स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा नहीं बल्कि विकासशील भारत की एक आर्थिक रणनीति का आधार था
लखनऊ। कोविड-19 वायरस वैश्विक संकट बन कर उभरा है जिसने पूरी दुनिया को तबाह कर दिया है। इस संकट के समय हमें जीवन बचाना चाहिए और आगे बढऩा चाहिए। देश की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए ऐसे आयामों की खोज करनी है जिससे 21वीं सदी मे हम विश्व गुरू बनकर निकलें। हमें अपनी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सहयोग की आवश्यकता है और यह सहयोग वित्तीय मदद के जरिए केन्द्र सरकार ने दिया है और अगले चरण में अर्थव्यवस्था को फिर से व्यवस्थित करने के लिए सभी उद्योगों को एक साथ आना पड़ेगा और भारत के सभी लोगों को अपने-अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभानी होगी ।
हमे वापस से गांधीजी द्वारा चलाए हुए स्वदेशी आंदोलन को अपनाना होगा। स्वदेशी आंदोलन महज स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा नहीं था, बल्कि विकासशील भारत की एक आर्थिक रणनीति का आधार था, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य को सत्ता से हटाना और स्वदेशी सिद्धांतों का पालन करके भारत में आर्थिक स्थितियों में सुधार करना था। अब यह आंदोलन अपने देश के घरेलू उत्पादों और उत्पादन प्रक्रियाओं को पुनर्जीवित करने के लिए करना होगा।
आमजन को भी भारतीय मूल की वस्तुओं की खरीदारी के लिए प्रतिबद्ध होना पड़ेगा। कृषि को नए उद्योग के रूप मे देखते हुए इस क्षेत्र का आधुनिकीकरण करना महत्वपूर्ण है, जिससे कामगार मजदूर जो अन्य राज्य से वापस आये हैं उन्हें रोजगार दिलाया जा सके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए की हमारे देश की आबादी खाद्य सुरक्षा का आनंद ले। कृषि प्रसंस्करण व्यवसायों की व्यावसायिकता को बढ़ाना और उत्पादन श्रृंखलाओं में विविधता लाना भी आज की जरूरत है।
एमएसएमई क्षेत्र अधिकतम रोजगार का अवसर प्रदान करता है इसलिए इस क्षेत्र के पुनरुद्धार के लिए आॢथक पुनरुद्धार बहुत आवश्यक है। आॢथक पुनरुद्धार पैकेज के रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित अर्थव्यवस्था का 10 प्रतिशत मूल्य आॢथक पुनरुद्धार के लिए बहुत आवश्यक है, इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के साथ 20 लाख करोड़ का पैकेज संजीवनी के रूप में काम करते हुए जहां एक तरफ अर्थव्यवस्था को स्वस्थ्य करेगा, वही दूसरी ओर यह रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा।
लेखक आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ हैं।