- पति के हत्यारों को सजा दिलाने के लिये 16 वर्षों से कानून का दरवाजा खटखटा रही थी पत्नी
- कौशिल्या देवी को दी जा रही जान से मारने की धमकी, सीएम कार्यालय से आईजी को दिया गया जांच का आदेश
- जिलाधिकारी ने एसडीएम महराजगंज को जांच सौंपी
- पुलिस अधीक्षक ने दिया कार्यवाही का आश्वासन, सीओ दे रहे हैं हत्यारों को संरक्षण
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। प्रदेश के वीवीआईपी जनपदों में लम्बे समय तक शुमार रहे रायबरेली जनपद में अपने पति के हत्यारों को सजा दिलाने के लिये 16 वर्षों तक भटकती रही पीडि़ता। लम्बी जद्दोजहद के बाद जनपद के महराजगंज कस्बे में राम जानकी मंदिर के संस्थापक राम शंकर दयाल की हत्या में महाराजगंज कोतवाली में हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ है। निष्पक्ष जांच और पीडि़ता को न्याय दिलाने की ढपली पीटी जा रही है। पर, पर्दे के पीछे स्थानीय पुलिस ऊंची पहुंच वाले आरोपितों को बचाने के लिये मामले की लीपापोती में जुट गई है। पीडि़ता ने केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से न्याय दिलाने की फरियाद की है।
गौरतलब है कि महाराजगंज कस्बे के चॢचत श्रीराम जानकी मंदिर के संस्थापक की जहर देकर की गई हत्या के मामले में न्याय के लिए जगह जगह एडय़िा रगड़ रही पत्नी को आखिर 16 साल बाद माननीय न्यायालय से न्याय की उम्मीद जगी है। हत्या के इस मामले में सिविल न्यायालय के कोर्ट नंबर 11 से बीते 26 सितंबर को हत्या का मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया, तब महराजगंज कोतवाली में हत्या का मामला दर्ज हुआ। पीडि़ता कौशल्या देवी ने बताया कि उनके पति राम शंकर दयाल ने अपने सारी सम्पत्ति जनहित में श्री राम जानकी मंदिर को समर्पित कर दी थी। संस्था की करोड़ों की संपत्ति है। वर्तमान में मंदिर परिसर में 6 दुकानें, स्कूल और अस्पताल संचालित है। टाऊन एरिया के रहने वाले जगदीप कुमार पुत्र अंजनी ने उसके पति से एक वसीयतनामा लडक़ी उर्मिला के पक्ष में कराया था, जिसमे शर्त थी की आग लगने एक्सीडेंट जहर खाने से राम शंकर दयाल की मृत्यु होगी, तो यह जमीन उर्मिला को नहीं मिलेगी। पीडि़ता ने बताया कि 16 वर्ष पूर्व जगदीप ने उसके पति की जहर देकर हत्या की थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी जहर से मृत्यु की पुष्टि हुई थी। न्याय के लिए उसने अधिकारियों से गुहार लगाई लेकिन १६ वर्षों तक न्याय नहीं मिला। अब न्यायालय के आदेश पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। इस दौरान षडयंत्र के तहत स्थानीय बड़े लोगों की मिलीभगत से आरोपी श्रीराम जानकी राम शंकर दयाल मंदिर समिति का अध्यक्ष बन गया और मनमानी की।
व्यवस्था के विपरीत जोड़े गये मनमाने प्रावधान
फम्र्स सोसाइटीज एवं चिट्स के डिप्टी रजिस्ट्रार उमाशंकर सिंह ने बीते अगस्त के एक निर्णय में लिखा है कि वस्तु स्थिति यह है कि संस्था स्थापना के समय बनाये गये पदाधिकारी एवं सदस्यों की महत्ता तब तक ही थी, जब तक संस्थापक अध्यक्ष जीवित रहे। संस्थापक अध्यक्ष ने अपने जीवनकाल में जिन आशंकाओं को व्यक्त किया था, उनके क्रम में ही कार्यवाही होना परिलक्षित है। इसमें कोई दो राय नहीं कि संस्थापक अध्यक्ष की मृत्यु के बाद संस्था संविधान के उपबंधों की अनदेखी की गयी और संस्था का संचालन मनमाने ढंग से किया गया। आश्चर्यजनक है कि संस्था संविधान में कूटरचना कर ऐसे प्राविधान रख दिये गये, जो किसी भी दृष्टि से न तो प्रजातांत्रिक व्यवस्था के अनुकूल हैं और न ही संस्था हित में। सूत्रों की मानें तो राम जानकी रामशंकर दयाल मन्दिर समिति ट्रस्ट के अध्यक्ष पद से जगदीप कुमार को लखनऊ मण्डल के कमिश्नर ने बेदखल कर दिया है। साथ ही समिति के नवीनीकरण को रद्द कर दिया है। जगदीप कुमार द्वारा संचालित बैंक खातों के संचालन पर रोक लगा दी है।
आरोपितों को संरक्षण दे रहे सीओ : ओपी यादव
सेन्ट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ओपी यादव ने बताया कि रामजानकी रामशंकर दयाल मन्दिर समिति के अध्यक्ष रामशंकर दयाल के हत्यारों को महराजगंज के सीओ गोपीनाथ सोनी खुला संरक्षण दे रहे हैं। हत्यारों के न केवल हौसले बुलंद हैं, बल्कि पीडि़ता को जान से मारने की एलानियां धमकी हत्याभियुक्त जगदीप व उनके परिजन खुलेआम दे रहे हैं। इतना ही नहीं बेदखली के बाद जगदीप कुमार मङ्क्षदर में खनन करने की योजना बना रहे हैं। महराजगंज कोतवाली पुलिस ने जगदीप कुमार व उनके परिजनों को परिसर में अवैध तरीके से कार्य करने पर रोक दिया है। जगदीप कुमार, दीपू व बंटी द्वारा मन्दिर में अवैध ढंग से किये जा रहे खोद खनन को रोकने, स्वयं के जान माल की सुरक्षा, जगदीप कुमार द्वारा बैंकों के संचालन पर पाबंदी लगाने, और महाराजगंज क्षेत्राधिकारी गोपीनाथ सोनी द्वारा हत्या आरोपी को संरक्षण दिए जाने की जांच कराने के लिये पीडि़ता ने मांग की है।
गृहमंत्री से लगाई न्याय की गुहार
पीडि़ता कौशिल्या देवी ने केंद्रीय गृहमंत्री से हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग की है। मुख्यमंत्री कार्यालय से कौशिल्या देवी के प्रार्थना-पत्र की जांच पुलिस महानिरीक्षक लखनऊ परिक्षेत्र को सौंपी गयी है। वहीं जिलाधिकारी रायबरेली ने उपजिलाधिकारी महाराजगंज को जांच सौंपी है। पुलिस अधीक्षक रायबरेली ने पीडि़ता को न्याय दिलाने का आश्वासन जरूर दिया है, लेकिन उन्हीं के मातहत क्षेत्राधिकारी आरोपितों पर अपनी कृपा लुटा रहे हैं। पीडि़ता कौशिल्या देवी ने केंद्रीय गृहमन्त्री, मुख्यमंत्री, गृह सचिव एवं पुलिस महानिदेशक को भेजे शिकायती पत्र में लिखा है कि जगदीप कुमार, उनके लडक़े आयुष उर्फ दीपू, भतीजे बंटी एवं क्षेत्राधिकारी महराजगंज गोपीनाथ सोनी की सांठ-गांठ की जांच करवा कर आरोपितों की गिरफ्तारी कर न्याय दिलाया जाय।