राशन किट नहीं खुद में आम आदमी का छोटा-मोटा किचन
किट में दाल, चावल, आंटा, आलू, रिफाइंड, धनिया, मिर्च, हल्दी के साथ भुने चने भी
लखनऊ। कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर जरूरतमंदों को दिया जा रहा राशन किट भी पूरे देश में हिट हो रहा है। कई राज्यों ने इस किट का नमूना भी मांगा है। खुद में यह राशन किट नहीं एक आम परिवार के लिए दो हफ्ते के किचन की पूरी सामग्री है। इसमें चावल, दाल आंटे के साथ धनिया, मिर्च और हल्दी तक की चिंता की गयी है। हो भी क्यों नहीं राजस्व विभाग मुख्यमंत्री विभाग जो ठहरा। यही वजह है कि किट में क्या-क्या होना चाहिए इसका मुख्यमंत्री ने खुद खयाल रखा। अब
राजस्व विभाग की अपर मुख्य सचिव के अनुसार एक किट में इसमें 10-10 किग्रा चावल एवं आटा, 2 किग्रा अरहर की दाल एवं आटा, 5 किग्रा आलू, एक लीटर रिफाइंड, 250 -250 ग्राम धनिया, हल्दी और मिर्च,नमक के अलावा दो किलो भुने हुए चने भी हैं।
मालूम हो कि लॉकडाउन के शुरू होने के साथ ही योगी सरकार ने जरूरतमंदों (दिहाड़ी श्रमिकों और कामगारों, रेहड़ी, पटरी दुकानदारों, ठेले और खोमचे वालों) को राशन किट मुहैया कराने की शुरुआत की। अब तक शहरी, नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों के 33 लाख से अधिक श्रमिकों को भरण-पोषण भत्ते के रूप में 336 करोड़ रुपये से अधिक दिये जा चुके हैं। यही नहीं इस दौरान बाहर से आने वाले हर श्रमिक (करीब 35 लाख) के स्वास्थ्य की जांच के बाद उनके ठीक मिलने पर उनको राशन किट के साथ 1000 रुपये का भरण-पोषण भत्ता भी दिया गया। जो संदिग्ध थे उनको क्वारंटीन अवधि पूरा करने के बाद राशन किट और भरण-पोषण भत्ता दिया गया।
यही नहीं इस दौरान बुजुर्गों, दिव्यांगों,निराश्रित महिलाओं को एडवांस पेंशन दी गयी। सरकार ने इस साल उनको दो महीने की अतिरिक्त पेंशन भी दी जाएगी। सरकार की ओर से संचालित कम्यूनिटी किचन से अब तक 6 करोड़ 50 लाख लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा चुका है। मनरेगा के तहत अब तक 43 लाख श्रमिकों को रोजगार दिया जा चुका है। लक्ष्य एक करोड़ मानव दिवस के सृजन का है। वृहद एवं सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम औद्योगिक इकाईयों में 40.41 लाख लोगों को रोजगार भी योगी सरकार दे चुकी है। ये सिलसिला अब भी जारी है।
काम आया बाढ़ के दौरान का अनुभव
दरअसल इस किट को तैयार करने में मुख्यमंत्री द्वारा अगस्त 2017 में बाढ़ के दौरान दिया गया दौरा काम आया। उस दौरान लखीमपुर दौरे के दौरान जब वह पीडि़तों के बीच पहुंचे तो उनको राशन के नाम पर ब्रेड दिया जा रहा था। उस समय उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि रॉशन किट में ये चीजें और इतनी मात्रा में होनी चाहिए। बाढ़ का समय था तो उस किट में पांच लीटर मिट्टी का तेल और माचिस भी शामिल था।