व्यथित मन, बोझिल प्रहर
अश्रुपूरित थे नयन
भावविह्वल शिथिल तन
देखा उधर कर्तव्य पथ
दायित्व बोध था प्रबल
विचलित नहीं, निश्चय सुद्रढ
बढ़ चले आगे कदम, राजधर्म पर अम्ल…
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सन्यास और समाज दोनों धर्मो का पालन करते है। सन्यास धर्म की मर्यादा के अनुरूप उन्होने परिवार का त्याग कर दिया था। उनका परिवार अत्यंत साधारण स्थिति में था। योगी स्वयं भी सादगी से रहते है। फिर भी पिता का स्थान व सम्मान अपनी जगह पर होता है।
योगी को जब अपने पिता के निधन का समाचार मिला वह कोरोना के मद्देनजर बनी टीम इलेवन के साथ मीटिंग में थे। एक तरफ पुत्र का व्यथित हृदय दूसरी तरफ समाज के प्रति कर्तव्य निर्वाह का बोध। मुख्यमंत्री के रूप वह सबको कोरोना से बचाने व राहत पहुंचाने में लगे होंगे। यह उनके लिए कठिन समय था। मन मे एक पल को कई विचार उपजे होंगे। लेकिन उन्होंने अपने को संभाला होगा। विचलित नहीं हुए। समाज धर्म पर चलने का निर्णय लिया।
इस संबन्ध में उनका बयान भावुक करने वाला है। स्वयं को संभालते हुए निर्णय लिया- लॉकडाउन के चलते अंतिम संस्कार में हिस्सा ना लेने का निर्णय–।
उन्होंने कोर ग्रुप के साथ अपनी बैठक को पूरा किया। आपदा राहत का पूरा फीडबैक लिया। अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। इसके बाद कुछ पल के लिए अपने पिता की स्मृति में बालक आदित्यनाथ रहे। अकेले, भावविह्वल। उन्होंने कहा,
पूज्यनीय पिताजी के कैलाशवासी होने पर मुझे भारी दुख एवं शोक है। वे मेरे पूर्वाश्रम के जन्मदाता हैं। जीवन में ईमानदारी, कठोर परिश्रम एवं निस्वार्थ भाव से लोक मंगल के लिए समर्पित भाव के साथ कार्य करने का संस्कार बचपन में उन्होंने मुझे दिया। अंतिम क्षणों में उनके दर्शन की हार्दिक इच्छा थी। परन्तु वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई को उत्तर प्रदेश की तेईस करोड़ जनता के हित में आगे बढ़ने का कर्तव्यबोध के कारण मैं न कर सका।
योगी ने पूजनीया मां,पूर्वाश्रम से जुड़े सभी सदस्यों से अपील है कि वे लॉकडाउन का पालन करते हुए कम से कम लोग अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में रहें।
इसका एक अन्य पहलू भी उल्लेखनीय है। योगी यदि वहां जाने का निर्णय लेते तो उनकी यात्रा की व्यवस्था में बहुत लोगों की ड्यूटी लगाई जाती। लखनऊ से लेकर उस स्थल तक जेड प्लस सुरक्षा के अनुरूप व्यवस्था करनी होती। योगी ने सभी लोगों के हित का इस परिस्थिति में ध्यान रखा। इस निर्णय के माध्यम से उन्होने अपने पिता को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की है।
भावुकता के इस समय में योगी आदित्यनाथ ने लोकहित को महत्व दिया। टीम इलेवन की मीटिंग में उनके निर्देश यही प्रमाणित करते है। उन्होने निर्देश दिए कि पुलिस बल तथा पूरी मेडिकल टीम को हर हाल में संक्रमण से सुरक्षित रखा जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि पुलिस कर्मी सुरक्षा के उपकरण लगाकर ही ड्यूटी पर ही जाएं। मास्क, दस्ताने तथा शील्ड का अनिवार्य रूप से इस्तेमाल करें। कोरोना के रोगियों के उपचार में लगे डाॅक्टरों तथा अन्य चिकित्सा कर्मियों को प्रत्येक दशा में संक्रमण से बचाए रखने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएं। जिन राजकीय मेडिकल काॅलेजों में कोरोना के सैम्पल की टेस्टिंग सुविधा उपलब्ध नहीं है वहां टेस्टिंग लैब स्थापित की जाए। राजकीय मेडिकल काॅलेज विहीन मण्डल मुख्यालय के जिला चिकित्सालय में टेस्टिंग लैब स्थापित की जाए। चिकित्सा कर्मियों के कोविड नियंत्रण प्रशिक्षण एवं अस्पतालों में संक्रमण से सुरक्षा के सभी उपाय करते हुए इमरजेन्सी सेवाओं का संचालन प्रारम्भ किया जाए। मास्टर ट्रेनर्स के माध्यम से आम जनता को भी उपचार की प्राथमिक विधि के बारे में प्रशिक्षित करने के लिए एक कार्य योजना तैयार की जाए।
डोर स्टेप डिलीवरी में लगे लोगों की भी जांच की जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि यह लोग मास्क आदि लगाकर सामग्री की आपूर्ति करें। बाहर से आने वालों को हर हाल में क्वारंटीन किया जाए। पूल टेस्टिंग को प्रोत्साहित किया जाए। प्रदेश वापस पहुंचे श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति की बैठक आज ही आहूत की जाए। यह समिति राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन तथा मनरेगा योजना के माध्यम से रोजगार सृजन की सम्भावनाओं पर भी विचार विमर्श करे। कार्य योजना बनाकर एक्सप्रेस वे परियोजनाओं का निर्माण कार्य प्रारम्भ किया जाए। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पेयजल की समस्या न हो। सभी नोडल अधिकारी फोन पर उपलब्ध रहकर लोगों की समस्याओं को सुनें तथा उनका समाधान कराएं।
लाॅक डाउन के नियमों तथा सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन आवश्यक है। कोटा से प्रदेश वापस लौटे सभी बच्चों को होम क्वारंटीन में रखा जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि इन बच्चों द्वारा आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करने के बाद ही उन्हें घर भेजा जाए