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ई-वे बिल व्यापारियों के लिए बनेगा मुसीबत

  • ई-वे बिल लागू न होने पर शुरू की पुरानी व्यवस्था को 15 अगस्त तक टाला
  • उत्तर प्रदेश राज्य कर विभाग ने राजस्व हानि रोकने के लिए उठाया था कदम
  • लागू होने के बाद वाणिज्य कर की सचल दल इकाइयां करेंगी माल की जांच

बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के सूचना प्रौद्योगिकी तंत्र जीएसटीएन पोर्टल पर ‘ई-वे बिलÓ जारी करने की सुविधा शुरू न होने के कारण राज्यों को राजस्व की चपत लग रही है। यही वजह है कि जीएसटीएन से ‘ई-वे बिलÓ की सुविधा में विलंब होते देख राज्यों ने अब अपने स्तर पर ही माल ढुलाई के संबंध में ‘ई संरचरणÓ और ‘टीडीएफÓ जैसी पुरानी व्यवस्था को ही अपने-अपने वाणिज्य कर पोर्टल के माध्यम से ‘ई-वे बिलÓ नाम देकर शुरू करने का निर्णय आपाधापी में लिया जरूर हालांकि विरोध व अड़चनों के चलते वापस भी लेना पड़ा।
उत्तर प्रदेश राज्य वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम के तहत इस आशय की अधिसूचना भी जारी कर दी है। इन राज्यों की अधिसूचनाओं से कारोबारियों में यह भ्रम हो गया था कि यहां जीएसटी के तहत आने वाले ई-वे बिल की व्यवस्था यहां शुरू हो रही है।
यूपी में ‘ई-वे बिलÓ की व्यवस्था लागू करने का आदेश बीते गुरुवार को १५ अगस्त तक टाल दिया गया। इस व्यवस्था के लागू होने पर यूपी के बाहर से राज्य में 50 हजार रुपये या इससे अधिक मूल्य का करादेय माल लाने पर वाणिज्य कर की वेबसाइट से ‘ई-वे बिल-1Ó लेना आवश्यक होगा। साथ ही किसी दूसरे राज्य का व्यापारी या ट्रांसपोर्टर अगर यूपी होकर सामान अन्य राज्य को ले जा रहा है तो उसे ‘टीडीएफ-1Ó रखना होगा। दरअसल एक जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद वैट के तहत माल ढुलाई के संबंध में बनी व्यवस्था खत्म हो गयी थी। जिन राज्यों में चेक पोस्ट थे, वे भी वैट आने के बाद हटा दिए गए हैं।
असल में सीजीएसटी कानून की धारा 140 के तहत माल एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए जीएसटीएन पोर्टल से ‘ई-वे बिलÓ जारी करने का प्रावधान किया गया है। कायदे में तो यह व्यवस्था जीएसटी लागू होते ही एक जुलाई से शुरू हो जानी चाहिए थी, लेकिन जीएसटीएन की तैयारियां पूरी नहीं होने के चलते जीएसटी काउंसिल ने कुछ समय के लिए ‘ई-वे बिलÓ की व्यवस्था को टालने का फैसला किया है। काउंसिल ने राज्यों से कहा कि वे वैकल्पिक उपाय के तौर पर वैट में माल ढुलाई के संबंध में जो व्यवस्था थी, उसी को जारी रखें। इसके बाद ही राज्यों ने ये कदम उठाए हैं। दरअसल उत्तर प्रदेश की तरफ से शुरू होने वाली व्यवस्था नई नहीं है। माल ढुलाई की व्यवस्था पहले की भांति ही बनी रहेगी। केवल पुरानी व्यवस्था ई- संचरण के नाम में परिवर्तन किया गया है और नयी नियमावली के तहत कुछ अन्य विकल्प जोड़े गए है।
गौरतलब है कि गुड्स एंड सर्विस टैक्स की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी ई-वे बिल व्यवस्था पूरे प्रदेश में आगामी १५ अगस्त से लागू होगी। इसके बाद अगर किसी भी व्यापारी का माल बिना जीएसटी नम्बर के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता मिला तो राज्य कर विभाग के अधिकारियों को माल पकड़कर उस पर जमानत धनराशि जमा कराने का पूरा अधिकार होगा। आयुक्त राज्य कर मुकेश मेश्राम ने सभी व्यापारियों से अपील की कि बिना बिल के माल का परिगमन न करें। पहली जुलाई को जीएसटी तो लागू हो गया था, लेकिन माल के परिगमन के लिए ई-वे बिल को लेकर कई तरह की दुविधा थी, इसीलिए विभाग ने राजमार्गों पर सचल दल अधिकारियों द्वारा की जाने वाली जांचों पर रोक लगा दी थी।
बीते २२ जुलाई को ई-वे बिल व्यवस्था लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी गयी, लेकिन विरोध व अड़चनों के चलते बीते गुरुवार को ही विभाग को फैसला में परिवर्तन करना पड़ा। अभी तक एक प्रान्त से दूसरे प्रान्त में माल ले जाने के दौरान कारोबारी को वाणिज्य कर विभाग से फार्म-38 लेना होता था। जीएसटी लागू होने के बाद फार्म-38 की व्यवस्था समाप्त हो गयी है। देश में एक कोने से दूसरे कोने में भी माल केवल बिल के जरिए जा सकेगा, लेकिन बिल जारी करने वाले का जीएसटी नम्बर लिखा होना जरूरी है।
चेकिंग के दौरान सचल दल के अधिकारी ट्रकों को रोक कर बिलों की जांच करेंगे, जिसमें जीएसटी नम्बर, माल का भार, कीमत चेक की जाएगी। इसमें अन्तर पाए जाने पर माल सीज किया जाएगा। अब कारोबारी को अपने एक गोदाम से दूसरे गोदाम में माल भेजने के लिए भी ई-वे बिल जारी करना होगा लेकिन इसमें माल स्थानान्तरण किया जाना दिखाया जाएगा। वाणिज्य कर विभाग के एडीशनल कमिश्नर ऑजनेय कुमार के मुताबिक टैक्स चोरी का माल पकडऩे के लिए जीएसटी के अधिकारी सघन अभियान चलाएंगे।

जेल की हवा खाने को तैयार रहे व्यापारी
अब बिना बिल के किसी भी माल काIMG_4990 परिगमन किया गया तो वाणिज्य कर विभाग की सचल दल यूनिट के अधिकारियों को यह अधिकार होगा कि वे माल को पकड़ सकते हैं और उस पर माल की कुल कीमत का 40 फीसद तक की जमानत धनराशि जमा करा सकते हैं। अभी तक चेकिंग के दौरान अधिकारियों का विरोध हो जाने पर उन्हें लौटना पड़ता था, जबकि उनके साथ पुलिस के जवान होते थे, लेकिन अब जीएसटी में अधिकारियों को यह शक्ति दी गयी है कि वे जांच का विरोध करने वाले किसी भी व्यक्ति को मौके पर गिरफ्तार कर सकते हैं। अभी तक गिरफ्तारी का अधिकार न होने के कारण व्यापारियों के विरोध के डर से अधिकारी ऐशबाग, यहियागंज, सुभाष मार्ग, अमीनाबाद, तिलक नगर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में टैक्स चोरी का माल उतरता देखते हुए भी आंख बंद कर लेते थे। विभाग के कई असिस्टेंट कमिश्नरों का कहना है कि अब व्यापार मंडल व व्यापारी नेता अगर जांच में बाधा डालेगें तो जेल की हवा खाएंगे। अधिकारियों का कहना है कि मुख्यालय की ओर से लखनऊ के एडीशनल कमिश्नरों को सख्त चेकिंग अभियान चलाने व जांच में बाधा डालने वाले व्यापारियों को जेल भेजने के मौखिक निर्देश दिए गए हैं।

ई-वे बिल सिस्टम की विशेषताएं
केंद्र सरकार ने जीएसटीएन द्वारा उत्पन्न ई-वे बिल को आगामी १६ अगस्त से उत्तरप्रदेश में भी लागू कर दिया जाएगा। इसमें 1,000 किलोमीटर से अधिक दूरी की यात्रा के माध्यम से भेजी जाने वाली वस्तुओं को शामिल किया जाएगा। जीएसटीएन से ई-वे बिल मिलेगा, जो ई-संचरण की तर्ज पर कार्य करेगा। ये बिल 1 से 20 दिनों के लिए मान्य होंगे। आवंटित दिनों की संख्या, यात्रा की जाने वाली दूरी पर निर्भर करेगी। यह भी सूचित किया गया है कि जीएसटी आयुक्त कुछ श्रेणियों के सामानों के लिए ई-वे बिल प्रदर्शित करने की वैधता अवधि को बढ़ा सकता है। विमान, विमान इंजन और जीएसटी के दायरे से पट्टे पर प्राप्त भागों के आयात को सरकार द्वारा छूट देने की भी खबर है।

ई-वे बिल क्या है?
ई-वे बिल के जरिए माल का पंजीकरण एवं उसके सत्यापन की ऑनलाइन बुनियादी सुविधा होगी, टैक्स अधिकारी हाथ में रखी जाने वाली मशीनों के द्वारा सत्यापन करेंगे। ई- वे बिल नामक यह प्रणाली वाणिज्यिक वस्तुओं को एक जगह से दूसरे जगह वैध तरीके से भेजने में आसनी के लिए है। इसके जरिए माल का पंजीकरण एवं उसके वेरिफिकेशन की ऑनलाइन बुनियादी सुविधा होगी। कर अधिकारी हाथ में रखी जा सकने वाली मशीन से इसका वेरिफिकेशन कर सकेंगे। सामान भेजने वाले को ई-वे बिल जनरेट करना पड़ेेगा। सामान भेजने वाले ने बिल नहीं बनाया तो ट्रांसपोर्टर को इनवॉयस के आधार पर बिल जनरेट करना पड़ेगा।

इन राज्य में पहले से ही सिस्टम
कुछ राज्य जो पहले से ही मजबूत ई-वे बिल सिस्टम का उपयोग कर रहे हैं, उन्हें मौजूदा फॉर्म को जारी रखने की अनुमति दी गई है जब तक कि केंद्रीकृत प्रणाली विकसित नहीं होती है। पश्चिम बंगाल, केरल, बिहार, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में पहले से प्रयोग हो रहा है ई-वे बिल सिस्टम, लेकिन इन सभी राज्यों के कर विभाग को देय था, लेकिन इस सिस्टम के तहत जीएसटीएन से कार्य होगा।

ई संचरण जैसी प्रक्रिया
सूत्रों ने कहा कि वैट खत्म होने के बाद तत्कालीन व्यवस्था को हूबहू नाम से लागू नहीं किया जा सकता था, इसलिए इसका नाम ‘ई-वे बिलÓ रखा गया है। हालांकि वास्तविकता यह है कि जैसे पहले राज्य के भीतर माल ढुलाई के लिए ‘ई संचरणÓ के फार्म वाणिज्य कर की वेबसाइट पर भरे जाते थे वैसे ही अब ‘ई-वे बिलÓ की प्रक्रिया है। सूत्रों ने कहा कि जब तक जीएसटीएन से ‘ई-वे बिलÓ की व्यवस्था शुरू नहीं हो जाती, राज्य अपने स्तर पर ही इसे जारी रखेंगे। वैसे भी जीएसटीएन पोर्टल पर अक्टूबर से पहले यह सुविधा शुरू होने की उम्मीद नहीं है। उल्लेखनीय है कि वैट में पांच हजार रुपये से अधिक के माल की ढुलाई के लिए ‘ई- संचरणÓ या ‘टीडीएफÓ साथ रखने की आवश्यकता थी। हालांकि जीएसटी में यह सीमा बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी गई है।

चार तरह की हैं व्यवस्था

राज्य कर आयुक्त मुकेश मेश्रम की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, माल के परिवहन के लिए अलग-अलग स्थितियों में ई-वे बिल 01, ई-वे बिल 02, ई-वे बिल 03 और टीडीएफ 01 की जरूरत होगी। उप्र के बाहर किसी स्थान से प्रदेश के भीतर 5000० रुपये या उससे अधिक मूल्य के कराधेय माल का परिवहन करने पर संलग्न प्रारूप ई-वे बिल-01 की जरूरत होगी। ई-वे बिल-01 माल के परिवहन या अभिवहन भंडारण के दौरान माल के साथ रखा जाएगा। लेकिन यदि कोई व्यक्ति अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए निजी वाहन या किसी सार्वजनिक यात्री परिवहन वाहन के माध्यम से अपने व्यक्तिगत पहचान संबंधी दस्तावेजों के साथ 50,000 रुपये से कम मूल्य के माल का परिवहन करता है तो ई-वे बिल 01 की जरूरत नहीं होगी।

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