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दो उप प्रबंधक बर्खास्त, कई पर लटकी तलवार

  • बसपा राज में यूपीएसआईडीसी में फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र, बिना पद बांटी गई नौकरियां
  • भर्ती घोटाले की जांच में पूरी दाल ही निकली काली

upबिजनेस लिंक ब्यूरो

लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम के दो उप प्रबंधक बर्खास्त कर दिये गये हैं। गाजियाबाद के क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय में तैनात उप प्रबंधक प्रमोद कुमार पर फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी पाने का आरोप है। तो वहीं क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय बरेली में तैनात सचिन सिंह की बीएससी की डिग्री जांच में फर्जी मिली है। विभागीय सूत्रों की मानें तो निगम प्रबंध तंत्र की इस कार्यवाही के बाद कई और अफसरों व कर्मचारियों पर बर्खास्तगी की तलवार लटक रही है।

सूत्रों की मानें तो चहेतों की भॢतयां करने के लिये मनमुताबिक नियमावली बनाई गई। तत्कालीन प्रबंध निदेशक एसके वर्मा, संयुक्त प्रबंध निदेशक तपेन्द्र प्रसाद ने नियुक्ति के लिए गठित कमेटियों में पसंदीदा अफसरों को तैनात किया। हथकरघा निदेशालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक जांच रिपोर्ट में सहायक प्रबंधक, उप प्रबंधक, जेई आदि के आठ पदों पर उन लोगों को भर्ती किया गया जिनके अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी थे। पूर्व में प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास को भेजी जांच रिपोर्ट में हथकरघा निगम के तत्कालीन आयुक्त व निदेशक रणवीर प्रसाद ने कई अहम खुलासे किये थे। वर्तमान में रणवीर प्रसाद यूपीएसआईडीसी के प्रबंध निदेशक हैं।

गौरतलब है कि बसपा शासन में वर्ष 2007 से 2009 के बीच यूपीएसआइडीसी में हुई भॢतयों पर अनियमितता के आरोप लगते रहे हैं। वर्ष 2007 में तत्कालीन खनन मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा यूपीएसआइडीसी के चेयरमैन बने। रिक्त पदों पर भर्ती के लिए कुशवाहा ने अपने चहेते अफसरों को स्थापना अनुभाग में तैनाती दी। इसके बाद बैकलॉग के रिक्त पदों पर भर्ती के लिये विज्ञापन निकाला गया, फिर बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया। सहायक प्रबंधक, उप प्रबंधक और अभियंता समेत कुल 108 पदों पर भर्तियां की गईं। इनमें 18 पद ऐसे थे जो सृजित ही नहीं थे। बावजूद इसके इन पदों पर नियुक्ति कर ली गई और लम्बे समय से जांच-जांच का खेल खेला जा रहा है।

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प्रमोद का अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी
जानकारों की मानें तो वर्ष 2008-09 के बीच बैकलॉग के रिक्त पद भरे गये थे। आरोप है कि नियुक्तियों के दौरान तत्कालीन प्रबंध निदेशक, संयुक्त प्रबंध निदेशक ने गड़बड़ी की थी। उन्होंने उन लोगों को भी नौकरी दी जो साक्षात्कार के दिन उपस्थित नहीं थे। जांच में सामने आया है कि प्रमोद कुमार ने आवेदन पत्र के साथ जो अनुभव प्रमाण पत्र लगाया था, वह फर्जी है। उन्होंने जिस कंपनी में बतौर कार्मिक कार्य करने का प्रमाण पत्र दिया है उसने प्रबंध निदेशक को लिखे पत्र में कहा है कि प्रमोद कुमार नाम का कोई कर्मचारी उनके यहां नहीं था। इसके बाद प्रमोद कुमार को बर्खास्त किया गया है।

सत्यापन में सचिन का अंकपत्र निकला फर्जी
बरेली के क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय में उप प्रबंधक सामान्य के पद पर तैनात सचिन सिंह 20 नवंबर 2009 को निगम की सेवा में आये। सचिन ने आवेदन पत्र के साथ हाईस्कूल, इंटरमीडिएट और बीएससी के अंकपत्र और अनुभव प्रमाण पत्र की छाया प्रति संलग्न की थी। एमडी ने बीएससी के अंकपत्र का सत्यापन छत्रपति शाहू जी महाराज विवि से कराया तो वह अवैधानिक निकला। एमडी ने सचिन से जवाब मांगा तो उसने कहा कि विश्वविद्यालय से दोबारा सत्यापन कराया जाय। एमडी रणवीर प्रसाद ने 17 जुलाई को सचिन को साक्ष्य प्रस्तुत करने को कहा लेकिन वह अंकपत्र के वैधानिक होने का कोई साक्ष्य नहीं दे सके। ऐसे में एमडी ने उनकी नियुक्ति प्रक्रिया को शून्य घोषित कर दिया है।

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क्रीमी लेयर के अभ्यॢथयों को भी मिला आरक्षण
सूत्रों की मानें तो बसपा के विधायक, मंत्रियों के आठ ऐसे रिश्तेदारों की भर्ती की गई जो क्रीमी लेयर की श्रेणी में आते थे, पर कम आय का प्रमाण पत्र बनवा कर उन्होंने आरक्षण का लाभ लिया। पिछड़ा वर्ग कोटे से उन्हें नौकरी मिली। साक्षात्कार कमेटी में शामिल अफसरों ने अंक तालिका पर अभ्यॢथयों को मिले नंबर नहीं अंकित किये। इनमें से कुछ अधिकारी वर्तमान में महत्वपूर्ण पदों पर तैनात हैं। इनमें एक विधायक पुत्र भी हैं। आखिर इन पर मेहरबानी क्यों लुटाई जा रही है?

भर्ती प्रक्रिया बोर्ड से मंजूर नहीं
सूत्रों की मानें तो भर्ती प्रक्रिया की नियमावली को यूपीएसआईडीसी बोर्ड से मंजूर कराया जाना चाहिए था, लेकिन नहीं कराया गया। तत्कालीन एमडी ने पूर्व की भर्ती नियमावली में अपने तरीके से फेरबदल किया। बोर्ड से उसे मंजूर कराते तो उनका निदेशक यह खेल पकड़ लेते। ऐसे में सबकुछ गोपनीय ढंग से किया गया।

गलत ढंग से दो दिन साक्षात्कार
सूत्रों की मानें तो एक पद के लिए एक ही दिन साक्षात्कार का नियम है, लेकिन उस समय कुछ ऐसे पद थे जिनके लिए दो दिन साक्षात्कार हुआ। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि जिन्हें नौकरी दी जानी थी वे पहले दिन अनुपस्थित थे। दूसरे दिन उनका साक्षात्कार हुआ।

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एक ही अफसर ने भरी अंकतालिका
साक्षात्कार कमेटी में शामिल अफसरों ने अंक तालिका पर अभ्यर्थियों को मिले नंबर नहीं अंकित किए। उन्होंने हस्ताक्षर कर अंक तालिका तत्कालीन प्रबंध निदेशक को सौंप दी। इसके बाद एक ही अफसर ने मनचाहा नंबर चहेते अभ्यॢथयों को दिया। जो वास्तव में पास हो सकते थे, वे फेल हो गये और जो फेल हो सकते थे, वे पास हुये। जांच में एक अंक तालिका ऐसी मिली है जिस पर अंक नहीं लिखे हैं बल्कि कमेटी के सदस्यों के हस्ताक्षर हैं।

इनके अभिलेखों में गड़बड़ी
प्रबंधक तेजवीर सिंह, उप प्रबंधक प्रमोद कुमार, जेई सुरेन्द्र कुमार, स्टेनो सुभाष चन्द्र, सहायक अभियंता नागेन्द्र सिंह, सहायक प्रबंधक आरती कटियार, शॢमला पटेल के अभिलेख गड़बड़ मिले हैं। शॢमला पटेल पूर्व में बर्खास्त की गई थी, लेकिन उन्हें कोर्ट से स्टे मिला।

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