- निर्यातकों को प्रति किलो 31 रुपये अनुदान देने की नीति
- बीते साल 414.44 मीट्रिक टन निर्यात, इस बार और बढ़ाएगी मंडी परिषद
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के आम को विदेशों में मजबूत पैठ के लिए मंडी परिषद की ओर से पूरी कोशिश की जा रही है। आम उत्पादों को उचित मूल्य दिलाने के साथ ही निर्यातकों को प्रोत्साहित करने के लिए शासन की ओर से अनुदान देने की भी व्यवस्था की गयी है। चालू वर्ष में आम निर्यात करने वालों को 31 रुपये प्रति किलो की दर से अनुदान दिया जाएगा। यह अनुदान उत्पादकों के साथ ही ब्रांड प्रमोशन व भाड़े के लिए दिया जाएगा।
बीते साल 16 देशों में उप्र से 414.44 मीट्रिक टन आम का निर्यात किया गया था। आम उत्पादकों को उचित लाभ दिलाने के लिए मंडी परिषद देश के विभिन्न शहरों के साथ ही विदेशों में बाजार की तलाश करती है। प्रयास होता है कि आम उत्पादकों को स्थानीय मंडियों के स्थान पर इन बाजारों में उचित मूल्य दिलाया जा सके। इसके लिए देश के विभिन्न शहरों तक आम पहुंचाने के लिए इसमें लगे व्यापारियों के साथ ही विदेशों तक आम की पहुंच बनाने के लिए निर्यातकों की तलाश की जाती है। शासन व मंडी परिषद की ओर से इन व्यापारियों व निर्यातकों को विभिन्न प्रकार की सुविधा भी मुहैया करायी जाती है ताकि उनको इसमें नुकसान न होने पाये।
देश की बाजारों में भी यूपी के प्रत्येक प्रजातियों के आम को पहुंचाने का प्रयास किया जाता है लेकिन विदेशों में सिर्फ दशहरी के अलावा चौंसा व लंगड़ा का ही निर्यात किया जाता है। निर्यातकों को नुकसान से बचाने के लिए शासन की ओर से मंडी परिषद के माध्यम से अनुदान भी दिया जाता है। मंडी परिषद का मानना है कि निर्यात के लिए उच्च गुणवत्ता के आम की छंटनी के बाद शेष बचे आम की बाजार में उचित कीमत नहीं मिल पाती है। इस वर्ष भी आम के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रति किलो आम पर 31 रुपये का अनुदान दिया जाएगा। मंडी निदेशक रमाकान्त पांडेय ने बताया कि इस अनुदान में आम उत्पादक को छह रुपये प्रति किलो का अनुदान मिलेगा। इसके अलावा निर्यात करने वाले को 10 रुपये प्रति किलो ब्रांड प्रमोशन के लिए तथा 15 रुपये प्रति किलो का अनुदान भाड़े के लिए दिया जाएगा। प्रदेश के आम को देश की अन्य बाजारों के साथ ही विदेशों में ‘नवाब ब्रांडÓ के नाम से बेचा जाता है और दस रुपये प्रति किलो का अनुदान इसी ब्रांड प्रमोशन के लिए दिया जाता है। उन्होंने बताया कि इस साल यह प्रयास किया जा रहा है कि कम से कम डेढ़ से दो दर्जन देशों तक आम का निर्यात किया जा सके। बीते साल भी 16 देशों में प्रदेश के आम ने अपनी धमक बनायी थी, उस लक्ष्य को इस बार और आगे बढ़ाना है। इसके लिए लगातार निर्यातकों से सम्पर्क किया जा रहा है।
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