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परिसर पर लगाया स्मार्ट मीटर, फीडिंग करना भूला विद्युत विभाग

नये मीटरों की फीडिंग व बिल बनवाने के लिए अधिकारियों के चक्कर लगा रहे उपभोक्ता

लेसा में दो महीने में ही 50 हजार से अधिक उपभोक्ताओं के परिसर पर लगा दिये गये स्मार्ट मीटर

अधिकारियों ने कहा, बकायेदारों के कनेक्शन कटवाएं या मीटरों की फीडिंग करें

मध्यांचल प्रबंध तंत्र का है कहना अभियंताओं की है स्मार्ट मीटरों की फीडिंग की जिम्मेदारी

smart meter copyलखनऊ। बिजली चोरी पर पूरी तरीके से अंकुश लगने का दावा करते हुए एक बार फिर से पावर कॉरपोरेशन प्रबंध तंत्र के आदेश के बाद राजधानी में मात्र दो महीने में 50 हजार से अधिक उपभोक्ताओं के परिसर पर स्मार्ट मीटर लगा दिये गये। परिसर पर लगाये गये स्मार्ट मीटर अब उपभोक्ताओं के लिए मुसीबत बन गये हैं। दरअसल, आनन-फानन में उपभोक्ताओं के परिसर पर स्मार्ट मीटर लगा तो दिये गये लेकिन उनकी फीडिंग विद्युत विभाग समय पर नहीं कर पाया। लिहाजा स्मार्ट मीटर फीड न होने से उपभोक्ताओं के बिल नहीं बन पा रहे हैं। मीटर फीड न होने और बिल न बनने से उपभोक्ता परेशान हैं। जिन उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट मीटर लगे हैं वे बिजली बिल बनवाने व मीटरों की फिडिंग कराने के लिए प्रमाणपत्र लेकर अवर अभियंता से लेकर अधिशासी अभियंता कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। उपभोक्ताओं का आरोप है कि विद्युत विभाग हर दो चार साल में मीटर बदलकर उनके लिए एक नयी मुसीबत खड़ी कर दी है। आलम यह है कि राजधानी में करीब 25 हजार से अधिक स्मार्ट मीटर वाले उपभोक्ता मीटर फिडिंग कराने के लिए परेशान घूम रहे हैं। राजधानी में एक दशक के भीतर पावर कॉरपोरेशन द्वारा करीब चार बार मीटर बदलने का फरमान जारी कर मीटर बदले जा चुके हैं। एक दशक पूर्व मैनुवल मीटरों को हटाकर चाइनीज मीटर उपभोक्ताओं के परिसर पर लगाये गये। करीब तीन वर्ष बाद इन मीटरों को हटाकर इलेक्ट्रानिक मीटर यह कहते हुए लगाये गये कि इन मीटरों के लग जाने से उपभोक्ताओं को काफी राहत मिलेगी। लेकिन मात्र दो साल बाद एक बार फिर से उपभोक्ताओं के परिसर पर लगे मीटर हटाकर नये मीटर लगाये गये। इन मीटरों के लगाये जाने के समय अधिकारियों ने दावा किया कि इन मीटरों से बिजली चोरी पूरी तरह रुक जाएगी और उपभोक्ता इन मीटरों से बिजली चोरी नहीं कर सकेंगे। यह मीटर पूरी तरह लग भी नहीं पाये थे कि इसके बाद प्रीपेड मीटर लगाये जाने का फरमान जारी हो गया। विद्युत विभाग यहीं पर नहीं रुका, फिर से दिसम्बर 2018 में सभी उपभोक्ताओं के यहां लगे मीटर हटाकर नये स्मार्ट मीटर लगाये जाने के आदेश दिये गये।

स्मार्ट मीटर लगे 25 हजार उपभोक्ता परेशान

पावर कॉरपोरेशन प्रबंध तंत्र के इस कदम से राजधानी के करीब 25 हजार उपभोक्ता परेशान हैं। स्मार्ट मीटर लगे 25 हजार उपभोक्ताओं के बिजली बिल कम्प्यूटर से नहीं निकल रहे हैं। जिसका प्रमुख कारण नये मीटर कम्प्यूटर में दर्ज न होना बताया जा रहा है। यही नहीं 90 फीसदी ऐसे उपभोक्ता हैं जो हर माह बिल का भुगतान करते थे। लेकिन मीटर फीड न होने से ये उपभोक्ता दो-दो महीने बीतने के बाद भी अपने बिल का भुगतान नहीं कर पाये हैं। वहीं बिलों का भुगतान न होने से लेसा का राजस्व घटने पर इंजीनियरों पर कार्रवाई न हो इसके लिए अधीक्षण अभियंताओं ने मध्यांचल निगम के प्रबंध निदेशक संजय गोयल से मुलाकात कर इस संबंध में चर्चा भी की है। बावजूद इसके राजधानी में करीब 25 हजार से अधिक उपभोक्ता बदले मीटर का प्रमाणपत्र लेकर कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई करने वाला कोई नजर ही नहीं आ रहा है।

राजस्व वसूली हो रही प्रभावित

इस मामले की शिकायत मिलने के बाद उच्चाधिकारियों ने स्मार्ट मीटरों को बिल पर दर्ज कराने का आदेश उपखण्ड अधिकारियों को दिया। इस मामले में राज्य उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि मीटर बदलने व दर्ज कराने का काम उपभोक्ता का नहीं है बल्कि इसको विभाग को कराना होता है। स्मार्ट मीटर बदलने की प्रक्रिया जब से शुरू हुई तब से अधिशासी अभियंता परीक्षण व सहायक अभियंता मीटर सहयोग ही नहीं कर रहे हैं। मुख्य अभियंता ट्रांस गोमती प्रदीप कक्कड़ का कहना है कि उपभोक्ताओं के घर व दुकान पर लगे स्मार्ट मीटर से शत प्रतिशत बिल दर्ज नहीं हो पाये जिससे राजस्व वसूली भी प्रभावित हुई है। ऐसे मीटरों को अधिशासी अभियंता व उपखंड अधिकारी स्तर पर तेजी से दर्ज कराने के आदेश दिये गये हैं। इस बाबत मध्यांचल के प्रबंध निदेशक संजय गोयल का कहना है कि स्मार्ट मीटरों को फिडिंग कराने व बिल जारी कराये जाने के निर्देश सभी अधिशासी अभियंताओं, सहायक अभियंता मीटर को दिये गये हैं।

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