- यूपी ही नहीं पूरे देश के कई राज्यों में शराब की दुकानों को लेकर बवाल
– रिहाइशी इलाकों में शिफ्ट करने का बच्चों के साथ महिलाएं कर रहीं कड़ा विरोध
– हाईवे से हटने के बाद आवासीय क्षेत्रों में शिफ्ट हो रहीं शराब दुकानें बनीं मुसीबत
– नियम ताख पर रख जगह- जगह खुले ठेके
धीरेन्द्र अस्थाना
लखनऊ। प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में शराब की दुकानों को लेकर लोगों में खासकर महिलाओं में जो गुस्सा है उसका कारण है, क्योंकि प्रदेश की युवा पीढ़ी शराब के नशे में डूब रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्टï्रीय परिवार स्वास्थय सर्वे के आंकड़े साफ करते हैं कि यूपी में हर चौथा नौजवान शराब के नशे में डूब रहा है। सर्वे के २०१५- १६ के आंकड़े बताते हैं कि यूपी में 15 साल से 49 साल की उम्र के 22.1 फीसद लोग शराब का सेवन करते हैं। गांव में शराब का सेवन करने वालों की संख्या अधिक है। इन आंकड़ों को देखने के बाद तो विरोध लाजिमी भी था। इसके बाद जब आपको ये पता चले कि यूपी में प्रति वर्ष ३२ करोड़ लीटर देशी शराब, ८५०० करोड़ बोतल अंगे्रजी शराब, २८.५ करोड़ बोतल बीयर की बिकती है और इसकी बिक्री से यूपी सरकार को १४ हजार करोड़ मिले हो। मतलब जनता की मेहनत की कमाई नशे में बर्बाद हो तो महिलाओं का गुस्सा जायज है।
आबकारी विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने सारे नियम ताख पर रखकर बस्ती के अंदर, शिक्षण संस्थानों और धार्मिक स्थलों के आस- पास शराब के ठेके खोल दिए। विभागीय जिम्मेदारों ने आबकारी नियमावली 2008 तक की धज्जियां उड़ा दी। ठेकों के आवंटन में दौरान चौहद्दी का मौका मुआयना करने के बजाए सिर्फ कागजों पर आदेश देते रहें। इसके चलते बड़ी संख्या में शराब और बीयर की दुकानें निर्धारित दूरी से हटकर नियम विरुद्ध बस्ती के अंदर, धार्मिक स्थलों और शिक्षण संस्थानों से महज चंद कदम दूरी पर खुल गईं।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाईवे से हटाकर रिहाइशी इलाकों में शराब की दुकानें खोले जाने से आक्रोशित जनता अब आंदोलित हो गयी है। शराब को लेकर पहले से परेशान महिलाओं के साथ बच्चे भी सड़कों पर हंगामा कर रहे हैं। प्रदेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में हंगामा, तोडफ़ोड़ और आगजनी से कानून- व्यवस्था पर सीधा असर पड़ा है। आंदोलित जनता ने बिहार की तर्ज पर यूपी में भी शराब बंदी की मांग शुरू कर दी है। यूपी के लखनऊ, कानपुर, उन्नाव, बाराबंकी, फैजाबाद, सहारनपुर, बागपत, आगरा, मेरठ, गाजियाबाद, लखीमपुर, गोंडा, अम्बेडकरनगर समेत कई जिलों में शराब की दुकानों पर तोडफ़ोड़ की कई घटनाएं सामने आयी। हालांकि समय रहते आंदोलन बढ़ता इसके पहले ही सरकार ने नयी गाइडलाइन जारी कर दी, जिससे कुछ हद तक स्थितियां सम्भली जरूर लेकिन रूकी नही। कई स्थानों पर दुकानों से बोतलें निकालकर उन्हें सड़क पर फोड़ा गया। कई दुकानदारों की जमकर पिटाई भी की गई है। लखनऊ में बड़ी संख्या में हाईवे से हटकर कालोनी के निकट पहुंची शराब की दुकानों पर महिलाओं ने धावा बोल दिया। वहां रखी शराब व बीयर की बोतलों को तोड़ा गया। मौके पर पहुंची पुलिस ने इन महिलाओं को समझाकर वापस भेजा। महिलाओं ने आरोप लगाया कि पियक्कड़ों के जमावड़े व ज्यादती के चलते नवयुवतियों व महिलाओं को यहां से निकलना दूभर हो गया था। शासन- प्रशासन और पुलिस को सब दिखता है फिर भी दुकान बंद नहीं करवाई जा रही थी, इसीलिए हम लोगों ने इसे जला दिया।
सरकार को आबकारी से होगा बड़ा नुकसान
आबकारी विभाग से प्रदेश सरकार को बड़ी राजस्व वसूली मिलती है। पिछले वित्तीय वर्ष में राजधानी स्थित 947 शराब की दुकानों और अन्य संसाधनों से आबकारी को राजस्व वसूली के लिए 19,250 करोड़ रुपये टारगेट दिया गया था। जिला आबकारी अधिकारी जंग बहादुर यादव के मुताबिक नवंबर 2016 तक विभाग द्वारा 9180.81 करोड़ रुपये राजस्व वसूला गया है। शेष राजस्व वसूली प्रक्रिया में है। वहीं, वित्तीय वर्ष 2015-16 में यह टारगेट 17,500 करोड़ था, जिसमें 1483.88 करोड़ रुपये राजस्व वसूला गया था। वहीं इस समय जो हालात हैं उससे आंकलन लगाया जा रहा है कि अगर स्थितियां जल्द सामान्य न हुईं तो सरकार को राजस्व के बड़े नुकसान का सामना करना पड़ेगा। हाईवे से 500 मीटर दुकानें अंदर किए जाने के आदेश के बाद व्यापारी जहां दुकानें लेकर जा रहे हैं। वहां या तो बस्ती है या फिर स्कूल या शिक्षण संस्थान अथवा धार्मिक स्थल हैं। स्थानीय लोग लामबंद होकर शराब की दुकान खोले जाने का विरोध कर रहे हैं। इसके चलते बड़ी संख्या में दुकानें बंद हैं। ऐसी दुकानें जो किसी स्थान पर कई सालों से चल रही थी वह भी आक्रोश का शिकार हो रही हैं। हालांकि उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हर हाल में अनुपाल कराया जाएगा। हालांकि हाईवे स्थित 109 दुकानों की चौहद्दी आ गई है। 140 दुकानें की गईं सरेंडर भी की जा चुकी है।
संसाधनों की कमी से राजस्व नुकसान
आबकारी विभाग के नियमों के मुताबिक जिला आबकारी अधिकारी को हर माह पच्चीस फीसद दुकानों का निरीक्षण करना चाहिए। इस दौरान शराब की गुणवत्ता, दुकान के मानक, रेट सूची आदि की जांच करनी होती है। नकली शराब की जांच के लिए जिला आबकारी अधिकारी और निरीक्षक को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। इस तरह आबकारी निरीक्षक को महीने में एक बार प्रत्येक दुकान का निरीक्षण करना चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है जिस कारण प्रदेश में हरियाणा की शराब की बिक्री और मिलावटी शराब का कारोबार खूब फल- फूल रहा है। आबकारी विभाग के ही एक रिटायर्ड अधिकारी का कहना था कि प्रतिमाह करोड़ों रुपये का राजस्व देने वाला आबकारी विभाग विकलांग है। विभाग के पास न ही पर्याप्त मात्रा में फोर्स है और न ही चलने के वाहन हैं। ऐसे में शराब का गलत कारोबार करने वालों के खिलाफ विभाग नाकाम है। सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला यह विभाग अपने संसाधनों के लिए ही तरस रहा है। इतना ही नहीं यह विभाग संसाधन के साथ ही उन कड़े नियमों के लिए भी मोहताज है जो इसके पास नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक आदेश जारी किया है जिसके अनुसार हाइवे के 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानों पर पाबंदी लगा दी गई है। जिसके बाद से ही राज्य सरकारों और शराब के कारोबारियों में हड़कंप का माहौल है। राज्य सरकारें और शराब कारोबारी इस आदेश से बचने के लिए भी कई उपाय खोज रहे हैं। हालांकि कुछ जगहों पर २२० मीटर के दायरे तक कोर्ट ने २० हजार से कम आबादी होने पर छूट दे रखी है। इसके बावजूद अभी भी कई ऐसे हाईवे है, जहां से दुकानें बंद नहीं करायी गयी है।
अफसरों को दिए गए निर्देश
- सीएम आदित्यनाथ योगी ने महिलाओं के विरोध को देखते हुए कड़ा फैसला लेने का मन बना लिया है।
– धार्मिक स्थल, स्कूल व बस्ती से भी दुकानें 500 मीटर दूर ही रखने के निर्देश दिए हैं।
– मुख्यमंत्री के निर्देश पर त्वरित कार्रवाई करते हुए मुख्य सचिव राहुल भटनागर ने सभी डीएम को निर्देश भेज दिया है।
– आबादी क्षेत्र व गांवों में ग्रामीणों की सहमति से ही शराब की दुकानें खोली जाएं।
– किसी भी तरह की अप्रिय घटना के मद्देनजर सुरक्षा के इंतजाम सुनिश्चित किए जाएं।
इतनी बिकती है यूपी में शराब
- 32 करोड़ लीटर देसी शराब की खपत सालाना
– 8500 करोड़ बोतल अंग्रेजी शराब की खपत
– 28.5 करोड़ बोतल बीयर की बिकती हैं यूपी में
– 14 हजार करोड़ की शराब पी गये पियक्कड़
आबकारी नियमावली
- नगर निगम के दायरे में किसी भी पूजा स्थल, स्कूल, अस्पताल अथवा आवासीय कॉलोनी से 50 मीटर में ठेका नहीं होगा।
– नगर पालिका और नगर पंचायत में यह दायरा 75 मीटर तक।
– ग्राम पंचायत में यह दायरा 100 तक की दूरी में लागू होगा।
राजधानी में कुल दुकानें
देशी शराब – 453
बीयर की दुकान- 162
अंग्रेजी शराब – 176
माडल शॉप- 91
बार- 65
इन राज्यों में इतने फीसद पियक्कड़
उत्तर प्रदेश 22.4
दिल्ली 24.7
चंडीगढ़ 39.3
पंजाब 34.9
बिहार 28.9
उत्तराखंड 35.2
मध्यप्रदेश 29.6
महाराष्ट्र 20.5
इनका कहना है
सुप्रीम कोर्ट और शासन के निर्देशों का पालन करते हुए ही शराब की दुकानें खुलेंगी। हाईवे से बंद हुई दुकानों में से लगभग 2100 दुकानें ही अब तक कहीं और खोली जा सकी हैं। 3214 दुकानें अभी बंद ही हैं। खुल चुकी 2100 दुकानों में से शासन के निर्देश पर कुछ और बंद हो सकती हैं।
- मृत्युन्जय नारायण, आबकारी आयुक्त
नीबू पार्क और ठाकुरगंज नगरिया स्थित दुकानों समेत 40 व्यापारी शराब की दुकानें सरेंडर कर चुके हैं। चूंकि हाइवे से दुकान हटाए जाने के बाद जो दुकानें 500 मीटर अंदर ले जाई जा रही हैं। वहां घनी बस्ती है। इस कारण कारोबारी परेशान हैं। कोई भी व्यवसाय ग्राहकों के कारण चलता है, वीराने में भला कौन ग्राहक शराब खरीदने आएगा।
- कन्हैयालाल मौर्या, महामंत्री, लखनऊ शराब एसोसिएशन