गुजरात में घरेलू, वाणिज्यिक व किसानों के 625 करोड़ रुपये माफ किये जाने की लायी गयी योजना
योजना के बाद उत्तर प्रदेश में भी रेगुलेटरी सरचार्ज 4.28 प्रतिशत को समाप्त करने व दरों में कमी करने का बनाया गया दबाव
लखनऊ। गुजरात सरकार द्वारा घरेलू, वाणिज्यिक व किसानों के लगभग 625 करोड़ बिजली का बकाया माफ किये जाने के बाद राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि 30 नवम्बर 2017 को जिस प्रकार से घरेलू ग्रामीणों व किसानों की दरों में व्यापक बढ़ोतरी की गयी और वर्तमान में वर्ष 2018-19 की बिजली दरों की अन्तिम सुनवाई पूरी हो गयी। ऐसे में प्रदेश सरकार विद्युत अधिनियम-2003 की धारा-108 के तहत नियामक आयोग से यह अनुरोध करे कि लोकहित में घरेलू, ग्रामीण व किसानों सहित छोटे वाणिज्यिक उपभोक्ताओं पर लगने वाला रेगुलेटरी सरचार्ज 4.28 प्रतिशत अविलम्ब समाप्त किया जाय। साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के घरेलू अनमीटर्ड उपभोक्ताओं की जो दरें एक अप्रैल से 300 रुपये प्रति किलोवाट से बढ़ाकर 400 प्रति किलोवाट कर दी गयी थी, उसे पुन: 300 रुपये कराया जाय। इस बाबत जल्द ही उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा प्रदेश के ऊर्जामंत्री श्रीकांत शर्मा से मिलकर गुजरात की तरह प्रदेश में भी उपभोक्ताओं को राहत दिलाने के लिए ज्ञापन सौंपेगे। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में केवल सरकारी विभागों पर लगभग दस हजार करोड़ का बकाया है जिसे सरकार बजटरी प्रोवीजन से विभाग को दिलाकर प्रदेश के घरेलू व किसानों की दरों में व्यापक कमी करा सकती है। प्रदेश की बिजली कम्पनियां गत वर्ष से 16 प्रतिशत रिटर्न ऑफ इक्युटी ले रही हैं, यानी कि नियामक आयोग से फायदा ले रही हैं। ऐसे में यदि प्रदेश सरकार चाहे तो ग्रामीण किसानों को बड़ी राहत रिटर्न ऑफ इक्युटी में कमी करके दे सकती है। जब इसी रिटर्न ऑफ इक्युटी के सहारे बिजली कम्पनियां अभियन्ताओं को 50 से ढाई लाख तक नगद इनाम दक्षता बढ़ाने के नाम पर गत दिनों दिया तो अब जब सभी राज्य अपने विद्युत उपभोक्ताओं को राहत दे रहे हैं तो उत्तर प्रदेश सरकार क्यों नहीं? परिषद अध्यक्ष ने इस बाबत गुजरात के मामले पर गुजरात नियामक आयोग अध्यक्ष से बात की। उन्होंने यह स्वीकार किया कि गुजरात में रिटर्न ऑफ इक्युटी के माध्यम से पहले भी विद्युत उपभोक्ताओं को इस प्रकार का लाभ दिया गया है। इस बार भी सरकार इन्हीं सब मदों से जो करोड़ों रूपया माफ किया है, भरपायी करेगी। आगे देखना है कि आयोग के सामने क्या प्रस्ताव आता है लेकिन रिटर्न ऑफ इक्युटी के माध्यम से यदि बिजली कम्पनियां चाहें तो उसमें कटौती कर बिना सब्सिडी के किसी भी कन्ज्यूमर कैटेगरी को लाभ दे सकती है।