Sailendra Yadav
लखनऊ। राज्य सरकार की मैनपावर आउट सोॄसग एजेन्सी उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम ने जिस वेण्डर को काली सूची में डाल रखा है सूबे का चिकित्सा स्वास्थ्य महकमा उसी पर मेहरबानी लुटा रहा है। दागी वेण्डर से प्रदेश के नव निॢमत ट्रामा सेन्टरों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, प्लास्टिक सर्जरी एवं बर्न यूनिटों, १०० शैया संयुक्त चिकित्सालयों, जिला महिला चिकित्सालय और मानसिक रोग चिकित्सालयों में जनशक्ति आपूॢत कराई जा रही है। इतना ही नहीं इन मनमानी नियुक्तियों के खिलाफ एक जनहित याचिका उच्च न्यायालय इलाहाबाद में विचाराधीन है। बावजूद इसके रोजगार की सौदागरी का बाजार सुनियोजित रूट से फल-फूल रहा है।
तत्कालीन सचिव उत्तर प्रदेश शासन द्वारा ३१ दिसम्बर २०१५ को जारी शासनादेश वेण्डरों की मनमानी का पर्याय बना है। इस शासनादेश में लिखा है कि कई जनपदों में आउटसोॢसंग एजेन्सी नहीं हैं, जहां हैं उन एजेन्सियों ने प्राविडेंट कमिश्नर कार्यालय और सॢवस टैक्स का पंजीकरण नहीं कराया है, जिस कारण कर्मचारियों के वेतन से ईपीएफ नहीं कट रहा है और यदि कहीं कट रहा है तो वह जमा नहीं हो रहा है। ईपीएफ न कटना और सॢवस टैक्स का भुगतान न करने को इस शासनादेश में अत्यधिक गंभीर कृत्य मानकर मैनपावर आपूॢत का कार्य जिस चहेती फर्म को दिया गया, उस फर्म के द्वारा आपूॢत की गई सैकड़ों जनशक्ति बीते कई माह से वेतन के लिये तरस रहे हैं, ईपीएफ की बात छोडिय़े।
स्वास्थ्य विभाग के एक सचिव ने प्रदेश के नव निॢमत १४ ट्रामा सेन्टरों, ३७ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, २९ प्लास्टिक सर्जरी एवं बर्न यूनिटों, १०० शैया संयुक्त चिकित्सालयों, जिला महिला चिकित्सालय और मानसिक रोग चिकित्सालयों आदि में जनशक्ति आपूॢत का कार्य इस फर्म की झोली में डाल दिया। सूत्रों की मानें तो इस फर्म ने मांग से कहीं अधिक संख्या में नियुक्ति पत्र बांट मोटा सुविधा शुल्क वसूला, जिन्हें लेकर आवेदक भटक रहे हैं। बीते दिनों ऐसे ही कई आवेदकों ने इस फर्म से जुड़े एक व्यक्ति के घर पर जमकर हंगामा किया। इनका आरोप है कि रजिस्ट्रेशन के नाम पर करोड़ों वसूले गये और मोटा शुल्क लेकर नियुक्ति पत्र दिये गये। पर, इनमें से कईयों को अभी तक ज्वाइनिंग नही मिली है और जिन्हें ज्वाइनिंग मिली उन्हें वेतन के लाले हैं। आवेदकों ने इस वेण्डर पर करोड़ों के घालमेल का आरोप लगाया है।
सूत्रों का दावा है कि स्वास्थ्य विभाग में संविदा भर्ती के नाम पर रोजगार के सौदागरों ने विभागीय अधिकारियों का ईमान खरीदने की बोली लगाई। शिखर पर बैठे एक अधिकारी पर करोड़ों का चढ़ावा चढ़ा कर मनमाने आदेश पारित कराये गये। इन्होंने अपने रिटायरमेंट के दिन एक ऐसे आदेश पर हस्ताक्षर किये, जिस पर इस घोटाले की पूरी इमारत खड़ी है। स्वास्थ्य विभाग के इस जीओ के माध्यम से कैसे ठगे गए हजारों युवा। कैसे इस जीओ के माध्यम से कंपनियों ने कमाए करोडों। कितने में बिके स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी। कैसे हुई नौकरियों की खरीद-फरोख्त और किसके हिस्से आया कितना मुनाफा यह कुछ ऐसे सवाल हैं जो जांच का विषय हो सकते हैं।
विडंबना है कि आज जिस आमजन की डेहरी पर अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिये खादी नतमस्तक होकर तमाम वादे कर रही है, वहीं आमजन संविदा नौकरी के नाम पर लूटे गये हैं। रोजगार की इस सौदागरी में विभागीय आलम्बरदारों की मेहरबानी और वेण्डर फर्मों की मनमानी हजारों बेरोजगारों को रुला रही है। इस घोटाले का मास्टर माइंड अज्ञात नहीं है, फिर भी कानून के हाथ उससे दूर हैं।
यह थी व्यवस्था
राज्य सरकार ने २७ अक्टूबर २०१४ को उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम कानपुर को मैनपावर आउटसाॄसग एजेन्सी नामित किया। इस व्यवस्था के मुताबिक, संबंधित शासकीय विभाग जिन्हें जनशक्ति की आवश्यकता होगी वह आवश्यकतानुसार लघु उद्योग निगम को सीधे मांग भेजेंगी। इसके बाद निगम निविदा के माध्यम से वेण्डरों को अधिकृत कर जनशक्ति आपूॢत करायेगी। लघु उद्योग निगम इंगेज काॢमक के पारिश्रमिक का भुगतान ससमय किये जाने, विभिन्न श्रम संविदा नियमों, कर्मचारी कल्याण नियमों एवं अन्य सुसंगत नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करायेगा।
मानसिक चिकित्सालय ने किया मना
मानसिक चिकित्सालय बरेली के निदेशक एवं प्रमुख अधीक्षक को निदेशक चिकित्सा उपचार बद्री विशाल ने कई बार पत्र लिख इस वेण्डर के माध्यम से मैनपावर आपूॢत सुनिश्चित कराने के निर्देश दिये। अपने जवाबी पत्र में प्रमुख अधीक्षक ने लिखा है कि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के स्थगन आदेश के कारण वह इस फर्म से मैनपावर आपूॢत सुनिश्चित कराने में असमर्थ हैं। बावजूद इसके निदेशक चिकित्सा उपचार इस फर्म की वकालत करने में व्यस्त हैं। मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका, जिला महिला चिकित्सालय देवरिया को लिखे पत्र में तो इन्होंने यहां तक लिखा है कि आपके द्वारा अनुबन्ध के बावजूद चयनित अभ्यॢथयों को कार्यभार ग्रहण नहीं कराया गया है, जो अनुबन्ध की शर्तों का उल्लंघन है। इस पर यदि वेण्डर न्यायालय की शरण में जाता है तो आप स्वयं जिम्मेदार होंगी।
यहां आपूॢत हुई जनशक्ति
शासनादेश ३१ दिसम्बर २०१५ के मुताबिक, नवनिॢमत १०० शैय्यायुक्त संयुक्त चिकित्सालय छिबरामऊ कन्नौज, कुमारगंज फैजाबाद, डिवाई बुलन्दशहर, अतरौली अलीगढ़, क्षय रोग सह सामान्य चिकित्सालय गोरखपुर, दर्शननगर फैजाबाद और संयुक्त चिकित्सालय औरैया में जनशक्ति आपूॢत का कार्य चहेती फर्म को दिया गया। इसके अलावा वर्तमान में संचालित और भविष्य में निॢमत होने वाले सीएचसी, जिला, संयुक्त चिकित्सालय, मण्डलीय चिकित्सालयों में जनशक्ति आपूॢत की जिम्मेदारी इसी फर्म को दे दी गई। साथ ही प्रदेश में नवनिॢमत ट्रामा सेंटर जनपद सहारनपुर, गाजियाबाद, डा0 राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय लखनऊ, पं0 दीन दयाल उपाध्याय चिकित्सालय वाराणसी, जौनपुर, कन्नौज व बांदा तथा भविष्य में निॢमत होने वाले ट्रामा सेण्टरों में भी मैनपावर आपूॢत के लिये इसी फर्म को अधिकृत कर दिया गया।
वेतन न मिला, तो खा ली नींद की गोलियां
आजमगढ़ के सदर अस्पताल के ट्रामा सेंटर में मल्टी टास्क वर्कर के पद पर तैनात संविदाकर्मी ने आठ माह से मानदेय न मिलने से हताश होकर नींद की गोलियां खा ली। उसकी हालत खराब होने पर हड़कंप मच गया। प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक ने बताया की अस्पताल में नया ट्रामा सेंटर बनने पर 26 मई 2016 को एक वेण्डर के माध्यम से नौ संविदा वार्डब्वाय कर्मियों को यहां रखा गया था। आठ माह में कई बार शासन स्तर पर इनके मानदेय के लिए एक माह में तीन बार रिमाइंडर भेजा गया। अब आश्वासन मिला है। प्रदेश के अन्य जनपदों में तैनात जनशक्ति ने भी वेतन ने मिलने की पीड़ा बयां की।
बोले जिम्मेदार
उच्च न्यायालय में दायर पीआईएल पर अभी कोई निर्णय नहीं आया है। इस पर आप मेरी राय क्यों ले रहे हैं, किसी अधिवक्ता से बात करिये। पीआईएल दाखिल होने से पूर्व के अनुबन्धों पर जनशक्ति आपूॢत कराने के लिये प्रमुख अधीक्षक मानसिक चिकित्सालय बरेली को निर्देशित किया गया था।
बद्री विशाल
निदेशक, चिकित्सा उपचार, उप्र
nice
Good Package Story