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वीवीआईपी कल्चर का नहीं उतर रहा खुमार

परिवहन निगम के अधिकारी अभी भी कार के बोनट पर लगाए हुए हैं लाल व नीली बत्ती

बीती एक मई से वाहन पर लाल-नीली बत्ती लगाना कर दिया गया है प्रतिबंधित

unnamed (2)लखनऊ। केंद्र सरकार ने लाल व नीली बत्ती लगाने के वीवीआईपी कल्चर को भले ही समाप्त कर दिया है लेकिन परिवहन निगम के कुछ अधिकारियों के जेहन से यह कल्चर अभी भी नहीं उतर रहा है। रोडवेज के अधिकारी प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री से भी ज्यादा वीवीआईपी हो गए हैं। पीएम और सीएम के साथ ही देश भर के मंत्रियों व आला अधिकारियों ने अपने वाहनों से लाल व नीली बत्ती हटा वीवीआईपी कल्चर को तिलांजलि दे दी, लेकिन रोडवेज के सीजीएम अभी भी अपनी कारों के बोनट पर लाल, नीली बत्ती लगाकर खुद को किसी न किसी रूप में वीवीआईपी कल्चर से जोड़े हुए हैं। यही नहीं वे अपने विभाग के मुखिया के भी दिशा-निर्देशों को नहीं मान रहे हैं। विभागीय मुखिया ने केंद्र सरकार का आदेश होते ही अपने वाहन से बत्ती उतरवा दी, लेकिन अधिकारियों पर इसका असर अब तक नहीं हुआ है। हालांकि निगम एमडी ने ऐसे वाहनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही है। केंद्र सरकार के साथ ही सूबे की योगी सरकार ने सख्त आदेश जारी किया था कि एक मई के बाद कोई भी अपनी कार पर किसी तरह की बत्ती का प्रयोग नहीं करेगा। इसके पीछे सरकार की मंशा यह थी कि वीवीआईपी कल्चर खत्म किया जाए। आम जनता को इस बात का जरा भी अहसास न हो कि वह बिल्कुल आम व्यक्ति है, उसकी कहीं कोई तवज्जो नहीं है। सरकार के आदेश के बाद सभी मंत्रियों व विभागों के उच्चाधिकारियों समेत पुलिस के आला अफसरों ने अपनी कार से बत्ती हटाकर सरकार के आदेश का पालन किया, लेकिन उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के सीजीएम व अन्य अधिकारी अभी भी अपनी एम्बेसडर कार के बोनट पर लाल, नीली बत्ती का प्रयोग कर रहे हैं। एम्बेसडर कारों के बोनट पर लगी नीली व लाल बत्ती अधिकारियों को किसी न किसी रूप में वीआईपी होने का अहसास दिला रही है। इन सभी कारों से निगम के अधिकारी घर से दफ्तर और दफ्तर से घर तक भ्रमण करते हैं। इनका प्रवर्तन कार्यों से कोई लेना-देना भी नहीं है फिर भी उनके जेहन से अभी भी बत्ती का खुमार उतर नहीं पा रहा है।

इनकी गाडिय़ां बत्ती से लैस

परिवहन निगम के जिन अधिकारियों की कार अभी भी लाल व नीली बत्ती से लैस है, उनमें लाल बत्ती से लैस एक कार यूपी ३२ सीजेड ५१०० उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के चेयरमैन की फ्लीट में शामिल है। नीली बत्ती यूपी ३२ ईएन ३४५४ मुख्य प्रधान प्रबंधक तकनीकी जयदीप वर्मा, नीली बत्ती यूपी ३२ सीजेड ३४३६ मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन एचएस गाबा व यूपी १६ जे ९००० नीली बत्ती से लैस है। इनके अतिरिक्त भी कई और अधिकारी अभी अपनी गाड़ी के बोनट पर बत्ती लगाकर चल रहे हैं।

वाहनों पर हो सकती है कार्रवाई

परिवहन विभाग के अधिकारियों की मानें तो तो परिवहन विभाग नियमावली में बोनट पर छोटी नीली या लाल बत्ती लगने का कोई जिक्र नहीं है। कार की शोभा बढ़ाने के लिए भले ही कोई इसका प्रयोग कर ले। हालांकि एक्ट में यह जरूर दर्ज है कि अगर कार में कोई अतिरिक्त पार्ट का उपयोग किया जाता है तो यह नियमों के खिलाफ होगा। ऐसे में अगर बोनट पर भी छोटी लाल या नीली बत्ती लगी है तो जांच के दौरान धारा १७७ के तहत संबंधित वाहन पर कार्रवाई की जाएगी।

दो परिस्थिति में ही कर सकते हैं बत्ती का प्रयोग

आपात व आपदा प्रबंधन कर्तव्यों के दौरान ही वाहनों पर लाल व नीली बत्ती लगाने का अधिकार केंद्र सरकार की ओर से प्रदान किया गया है। अग्नि को नियंत्रित करने वाले वाहनों, पुलिस, रक्षा बलों या अर्धसैनिक बलों द्वारा कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए, भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, चक्रवाती तूफान, सुनामी समेत प्राकृतिक आपदाओं, नाभिकीय रासायनिक आपदा व जीव वैज्ञानिक आपदा समेत मानव निर्मित आपदाओं के प्रबंधन से संबंधित कर्तव्यों के दौरान वाहनों पर बत्ती के प्रयोग की छूट सरकार ने दे रखी है। सरकार की ओर से जारी भारत राजपत्र में साफ तौर पर कहा गया है कि आपदा प्रबंधन कार्य समाप्त होने के बाद किसी के भी वाहन पर बत्ती नहीं लगी होनी चाहिए।

-गाडिय़ों पर किसी भी तरह की बत्ती लगाने की अनुमति नहीं है। अगर रोडवेज अधिकारी अपनी गाडिय़ों के बोनट पर अब तक बत्ती लगाए हुए हैं तो उन वाहनों का आरटीओ से चालान कराया जाएगा। मामला संज्ञान में आया है निश्चित तौर पर कार्रवाई होगी।
के. रविंद्र नायक, प्रबंध निदेशक, उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम

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