सीएमएस वाले गांधी के आगे सिस्टम बेचारा क्यों रहता है? सिटी माण्टेसरी स्कूल से संबंधित कोई एफआईआर राजधानी के किसी थाने में आसानी से क्यों नहीं लिखी जाती? इन सवालों का जवाब है सीएमएस संस्थापक जगदीश गांधी की ऊंची पहुंच। प्रदेश में सरकार किसी भी राजनैतिक दल की हो, यह हर सरकार में अपनी धाक जमा ही लेते हैं। लिहाजा, स्थानीय प्रशासन सीएमएस से संबंधित किसी भी शिकायत को टालने की कोशिश में सुनियोजित ढंग से जुट जाता है। बहरहाल, इस बार विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हिमांशु दयाल श्रीवास्तव के आदेश पर एक परिवाद दर्ज हुआ है।
- सीएमएस की चौक शाखा में ब्याज के नाम पर अभिभावकों से वसूले गये करोड़ों, न्यायालय ने दिये मुकदमा दर्ज करने के निर्देश
- अवैध निर्माण, दूसरे की संपत्ति पर कब्जे के भी लगे हैं आरोप
- तमाम अनियमितताओं के बावजूद सीएमएस के खिलाफ नहीं होती कोई कार्यवाही
सचिन शर्मा
लखनऊ। आज-कल के शिक्षण संस्थान देश के नव-निहालों को शिक्षित ही नहीं करते, बल्कि उनके अभिभावकों से उगाही भी करते हैं। कभी मंहगी फीस के नाम पर। तो कभी अपनी लुभावनी स्कीमों में पैसा निवेश कर मोटा ब्याज कमवाने के नाम पर। राजधानी के चॢचत शिक्षण संस्थान सिटी माण्टेसरी स्कूल की चौक शाखा में लम्बे समय से चल रहे कुछ ऐसे ही कारोबार का खुलासा हुआ है।
पहले, विद्याॢथयों के अभिभावकों को ब्याज का सपना दिखाकर करोड़ों रुपये उधार लिये गये। फिर, सीएमएस तंत्र ने जून 2017 में चौक शाखा की प्रधानाचार्या को भ्रष्टाचार के आरोप में निष्कासित कर अभिभावकों का सारा पैसा हड़प लिया और शिक्षा की आड़ में चल रहे चिट-फण्ड के इस कारोबार का सारा ठीकरा निष्कासित प्रधानाचार्या के सिर पर फोड़ दिया। सीएमएस के जानकारों की मानें तो संस्थान में स्कूल संस्थापक जगदीश गांधी की मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या बिना उनकी जानकारी के अभिभावकों से करोड़ों की यह रकम वसूली गई? और विख्यात शिक्षाविद् डॉ. जगदीश गांधी को कई वर्षों तक इसकी भनक भी नहीं लगी?
जानकारों की मानें तो सीएमएस की अन्य शाखाओं में भी इसी प्रकार का लेन-देन होता है। ऐसे में सवाल यह भी उठना लाजिमी है कि क्या संस्थान ने बैंक या चिट-फण्ड चलाने का लाइसेंस ले रखाहै? रेमन मैग्सेसे अवार्डी डॉ. संदीप पाण्डे ने बीते दिनों सीएमएस प्रबंध तंत्र की कारगुजारियों के खिलाफ मोर्चा खोला। डॉ. पाण्डे के मुताबिक, सीएमएस की चौक शाखा पर विद्यालय के नाम पर बैंक या चिट फण्ड चलाना और जन-पक्षीय शिक्षा के अधिकार अधिनियम को धता बताकर 2015-16 में 18 बच्चों, 2016-17 में 55 बच्चों, 2017-18 में 296 व 2018-19 में दो सौ से ऊपर बच्चों को बेसिक शिक्षा अधिकारी के आदेश के बावजूद विभिन्न शाखाओं में दाखिला नहीं दिया गया। इतना ही नहीं इन्दिरानगर सेक्टर-ए में सीएमएस स्कूल की शाखा का निर्माण भी फर्जी तरीके से करने के आरोप हैं। इसके ध्वस्तीकरण का आदेश कई बार पारित हुआ, फिर भी अधिकारियों के कान में जू तक नही रेंगी। कहना गलत न होगा कि उच्च अधिकारी ही नही चाहते कि इस गैर कानूनी इमारत का ध्वस्तीकरण हो। आवास विकास परिषद ने जुलाई २००३ में सीएमएस संस्थापक जगदीश गांधी को कई नोटिस जारी करते हुए कहा कि या तो इस इमारत के निर्माण कार्य पर रोक लगाये या स्वयं ही इसे ध्वस्त कर दें। पहली नोटिस जुलाई 2003 में जारी कर अपना पक्ष रखने का अवसर भी दिया गया।
इस नोटिस में लिखा है कि इस निर्माण को गिरा देने का आदेश क्यों न जारी किया जाय। इसकी सुनवाई में जारी आदेश के विरुद्ध उपस्थित होकर कारण बताने में असफल रहे। आपने कोई पर्याप्त कारण नही बताया, जो कारण बताए गए थे वो सारहीन थे जिसमें गांधी जी को इस अनदिकरत रूप से बनाई गई इमारत को तिथि से १५ दिन के अंदर गिरा देने का नोटिस जारी किया था, जिसकी भूखण्ड संख्या-823 है। इसके बाद दूसरी नोटिस फरवरी 2015 में जारी की गई, जिसमें पुन: इनको सुनवाई व यह बताने का अवसर दिया गया कि इस निर्माण को गिरा देने का आदेशक्यों न जारी किया जाय। इस बार भी यह अपना पक्ष रखने असफल रहे। कारण सारहीन थे जिसकी भवन संख्या-903 है, जिस पर बिना मानचित्र स्वीकृत कराये द्वितीय तल तक निर्माण किया गया जोकि अनधिकृत है। इतना ही नहीं सिटी मांटेसरी स्कूल प्रबंध तंत्र पर दूसरों की सम्पत्ति पर कब्जा करने के आरोप भी लगे हैं। इंदिरा नगर और जॉपलिंग रोड की शाखाओं का निर्माण पर विवाद की काली छाया पड़ी है। साथ ही इंदिरा नगर, गोमती नगर विस्तार और महानगर शाखाओं पर अनाधिकृत निर्माण कराने, इंदिरा नगर और जॉपलिंग रोड पर बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र के निर्माण कराने के आरोप लगे हैं। इतना ही नहीं भूमि प्रमाण पत्र और अग्नि शमन प्रमाण पत्र भी सीएमस प्रबंध तंत्र ने लेने की आवश्यकता नहीं समझी। मुख्य अग्नि शमन अधिकारी के अनुसार सीएमएस की 18 में से मात्र 2-3 शाखाओं ने ही अग्नि शमन प्रमाण पत्र प्राप्त किये है। आरडीएसओ शाखा की अवैध तरीकों से मान्यता प्राप्त कर वर्षों बिना किराया दिये विद्यालय चलाने के आरोप भी हैं। यह जांच योग्य है कि आखिर किन-किन अधिकारियों, जन-प्रतिनिधियों, न्यायाधीशों व पत्रकारों के बच्चों को शुल्क में छूट देकर जगदीश गांधी ने अनुचित लाभ प्राप्त किये हैं।
क्र.सं. उधार देने वाले अवधि राशि (रु. में)
1. इंद्रजीत अरोड़ा, शशि अरोड़ा, मुस्कान अरोड़ा, मेघा अरोड़ा, नाव्या अरोड़ा 2/5/16 से 8/6/16 के बीच 15 बार रु. 1 लाख 15,00,000
2. जलीस रिजवी, एस.एम. फिदा अब्बास, शाबिया, शिरीन, नगीन 22/7/14 से 7/2/16 के बीच जेहरा, 13 बार में 26,00,000
3. रितेश अग्रवाल, मंजू अग्रवाल 1992-93 से 2016 तक कई किस्तों में 61,00,000
4. राजेश अग्रवाल व अन्यपिछले 15-16 वर्षों में लिया गया 25,00,000
5. राकेश, अमित, विभोर 2016 में 9,00,000
6. सुनील मल्होत्रा 17,50,000
7. नवीन कांत रस्तोगी 5,00,000
8. ममता मिश्र पत्नी एसके मिश्र पिछले 12-13 वर्षों में लिया गया 12,00,000
9. कुसुमलता, एसएन सिंह पिछले 5-6 वर्षों में लिया गया 12,60,000
10. एसडी चोपड़ा, के. चोपड़ा, एन. चोपड़ा, (अनिल चोपड़ा) 23,00,000
11. आलोक, रागिनी अग्रवाल 2011 से कई किस्तों में 6,00,000
12. अनुराग, सविता, प्रज्ञा पाण्डेय पिछले 15 वर्षों में लिया गया 26,41,000
13. बाल कृष्ण तिवारी, सुषमा तिवारी 2006-17 में लिया गया 3,00,000
14. मुजफ्फर व अन्य लिया गया 7,50,000
15. रिजवान खान 3,00,000
16. दिलीप सिह 2,00,000
17. डेनियल 4,50,000
18. फैजी 8,00,000
नोट- यह कुछ प्रमुख लोगों की सूची हैं। यह आंकड़ा लगभग 2,95,66,200 रुपये से अधिक है।