15 जून तक पूरा होना है कार्य, अब तक हुआ महज पांच फीसदी कार्य : सूत्र
आधा समय निकलने के बाद हुआ शेड्यूल आफ रेट का पुनरीक्षण
सड़कों की मरम्मत में पूर्वाचल फिसड्डी, मुख्यमंत्री का गोरखपुर अभियान में पीछे
शैलेन्द्र यादव
लखनऊ। योगी सरकार ने आते ही प्रदेश की सड़कों को 15 जून तक गड्ढा मुक्त करने का निर्देश देकर विकास के प्रति अपने इरादे स्पष्ट किये। पर, सूबे की गड्ढा मुक्त सड़कों को 15 जून तक गड्ढा मुक्त करने वाली घोषणा निर्धारित समय में पूरी होनी मुश्किल है। प्रदेश की सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के संकल्प में विभागीय अधिकारी आड़े आ गये हैं। नौकरशाही की अधूरी तैयारी सरकार के इस प्रयास को पलीता लगाती दिख रही है।
विभागीय सूत्रों की मानें तो राज्य सरकार का गड्ढा मुक्त सड़कों का संकल्प पूरा करने में विभागीय अधिकारियों की सुस्ती बरकरार है। चर्चा तो यह भी है कि सड़कों को गड्ढा मुक्त कराने वाली योगी सरकार की इस घोषणा पर लोक निर्माण विभाग के प्रबंध तंत्र ने उस तरह से दिलचस्पी नहीं दिखाई जैसे उन्होंने समाजवादी सरकार के साइकिल ट्रैक बनवाने में दिखाई थी। एक पैर पर खड़े होकर राजधानी में रातो-रात साइकिल ट्रैक बनवाने वाले यह अधिकारी आधे से अधिक समय निकलने के बावजूद तीन वर्ष पुराने शेड्यूल आफ रेट का पुनरीक्षण नहीं कर सके। निर्माण सामग्री का जो मूल्य था तीन वर्ष पहले था, उसी मूल्य पर विभाग ने निविदायें आमंत्रित कर दी। प्रदेश भर में निकाली गई अधिकतर निविदाओं में किसी फर्म ने हिस्सा नहीं लिया।
सरकार द्वारा घोषणा किये लगभग एक माह का समय बीतने के बावजूद विभागीय अधिकारी कुंभकर्णी नींद में सोये रहे। 20 अप्रैल को यह नींद टूटी तो मार्ग एवं भवन निर्माण का शेड्यूल आफ रेट पर मुहर लगी। लोक निर्माण विभाग के प्रबंध तंत्र की इस सुस्ती के चलते प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों की सड़कें अब भी बदहाल है। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर की सड़कें भी शामिल हैं। पश्चिम के जिलों ने संतोषजनक प्रगति की है, वहीं पूर्वाचल के जिले काफी पीछे हैं।
बीते दिनों इस अभियान की प्रगति समीक्षा के दौरान उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बताया 85,942 किलोमीटर सड़क को गड्ढा मुक्त करने का लक्ष्य है, जिसमें से 15 मई तक 17,187 किलोमीटर सड़क को गड्ढा मुक्त किया जा चुका है। राज्य सरकार के आंकड़ों की मानें तो प्रदेश में सड़कों की कुल लम्बाई लगभग 2,25,885 किलोमीटर है। इसमें 7,147 किलोमीटर राज्य मार्ग, 7,637 किलोमीटर प्रमुख जिला मार्ग, 48,006 किमी अन्य जिला मार्ग तथा लगभग 1,63,035 किमी ग्रामीण मार्ग हैं। सूत्रों की मानें तो इस अभियान की भौतिक उपलब्धि अब तक महज पांच से दश प्रतिशत ही है। ऐसे में शेष २५ दिनों में यह सौ फीसदी के आंकड़े को कैसे छुयेगी। मंत्रिमंडल की दूसरी बैठक के निर्णय को क्रियान्वित करने के लिये युद्ध स्तर पर प्रयास करने होगे।
साढ़े चार हजार करोड़ रुपये से सड़कें होनी हैं गड्ढा मुक्त
मंत्रिपरिषद के निर्णय के मुताबिक, लोक निर्माण विभाग के विभिन्न श्रेणी के 85,943 किलोमीटर मार्गों को 4,502 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। मार्च 2017 में इसके लिये लगभग 282 करोड़ रुपये निर्गत किये गये। शेष 4,220 करोड़ रुपये का प्रावधान वर्तमान वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट में किया गया। इसके अलावा 3,100 किलोमीटर राष्टï्रीय राजमार्ग की मरम्मत का कार्य भी लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाना है। इस पर आने वाले व्यय की धनराशि भारत सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जाएगी। इस सम्बन्ध में कार्य योजना बनाकर एनएचएआई को प्रेषित करते के लिये अधिक से अधिक धनराशि प्राप्त करने का प्रयास किया जाएगा। लोक निर्माण विभाग के अतिरिक्त पंचायती राज, मण्डी परिषद, गन्ना एवं ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के अतिरिक्त स्थानीय नगर निकायों की सड़कों को गड्ढामुक्त करने का कार्य सम्बन्धित विभागों द्वारा किया जाना है।
तीन वर्षों से जारी नहीं हुआ शेड्यूल आफ रेट
विभागीय जानकारों की मानें तो मार्ग एवं भवन निर्माण कार्यों का शेड्यूल आफ रेट बीते तीन वित्तीय वर्षों से जारी ही नहीं हुआ। सरकार की इस घोषणा के लगभग एक माह बाद 20 अप्रैल को रिवाइज रेट जारी हो सका। मतलब, निर्धारित समय में आधा समय निकल गया और किसी को इसकी याद ही नहीं आई। 15 जून तक हर हाल में सड़कों को गढ्ढामुक्त करने के लिए संकल्पित योगी सरकार की इस घोषणा पर विभागीय अधिकारियों की सुस्ती पलीता लगाती दिख रही है।
मुख्यमंत्री का गृहक्षेत्र पिछड़ा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृहक्षेत्र गोरखपुर में 15 मई तक सड़कों की मरम्मत का लक्ष्य छह फीसद भी पूरा नहीं हो पाया। जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के क्षेत्र वाराणसी और उससे जुड़े जिलों का प्रदर्शन राहत भरा है। प्रदेश सरकार के गड्ढा मुक्त सड़कों का अभियान खत्म होने की आखिरी तारीख से ठीक 25 दिन पहले तक लोक निर्माण विभाग मुख्यालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार चंदौली, रामपुर, रायबरेली और खीरी जिले एक चौथाई से अधिक काम निपटा चुके हैं। पश्चिम के जिलों की स्थिति संतोषजनक है। मेरठ, बागपत, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर के काम में तेजी आई है। रुहेलखंड की रफ्तार भी ठीक है। बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर और पीलीभीत में भी काम बीस फीसद से अधिक होने की सूचना है।