- ट्रांसगंगा सिटी और सरस्वती सिटी के आवंटियों को दी गई राहत
लखनऊ। उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास निगम की बोर्ड बैठक में भूखण्ड हस्तांतरण और समय विस्तारण के लिए आवेदकों को 31 दिसंबर तक समय दिया गया है। वहीं अब कोई कंपनी औद्योगिक क्षेत्र में मेगा फूड पार्क व अन्य क्लस्टर बनाने के लिये 50 से 100 एकड़ भूमि ले सकेगी। कंपनी अपने हिसाब से इकाई लगा सकेगी।
निगम की बहुप्रतिक्षित परियोजना ट्रांसगंगा सिटी कानपुर और सरस्वती सिटी इलाहाबाद के आवंटियों को राहत दी गई है। अब तक जिन्हें भूमि आवंटित हुई है उनके आवंटन की तिथि उस दिन से शुरू होगी जिस दिन वहां न्यूनतम विकास कार्य पूर्ण होने की घोषणा की जायेगी। साथ ही रूमा औद्योगिक क्षेत्र में स्पेशल परपज व्हीकल के तहत गठित कंपनी को 25 लाख रुपये सीईटीपी संचालन के लिए दिये जायेगे।
औद्योगिक क्षेत्रों के पास निजी भूमि पर बनी औद्योगिक इकाइयों के मालिक अब औद्योगिक क्षेत्र की सुविधाओं का नि:शुल्क उपयोग नहीं कर सकेंगे। उन्हें उस औद्योगिक क्षेत्र की भूमि के वर्तमान प्रीमियम दर के 25 फीसद दर से एकमुश्त धनराशि प्रतिवर्ष अनुरक्षण शुल्क के रूप में यूपीएसआइडीसी को देनी होगी। अमेठी के त्रिशुंडी औद्योगिक क्षेत्र में रिक्त भूमि का नया लेआउट अनुमोदित किया जायेगा। दादरी, नोएडा, बुलंदशहर विशेष निवेश क्षेत्र की स्थापना के लिये कंसलटेंट की तैनाती होगी।
भाऊपुर मॉडल टाउनशिप को 1251 करोड़ का ऋण
भाऊपुर में 2500 एकड़ में मॉडल टाउनशिप बसाने के लिए 1251 करोड़ रुपये ऋण लिया जाएगा। निगम के एमडी रणवीर प्रसाद के प्रस्ताव को चेयरमैन अनूप चंद्र पांडेय ने मंजूरी दी। सेन पश्चिम पारा में मेगा लेदर क्लस्टर की स्थापना के लिए 375 करोड़ रुपये ऋण लिया जायेगा।
एफएआर में वृद्धि, स्टांप शुल्क में राहत
भवनों की स्थापना के लिए फ्लोर एरिया रेशियो, एफएआर में वृद्धि की जायेगी। इसके लिए समिति गठित होगी। समिति तय करेगी कि कितना एफएआर बढ़ाया जाय। रद भूखण्ड का आवंटी के पक्ष में रेस्टोरेशन करने के लिए स्टांप शुल्क में राहत देने पर सहमति बनी है। तय किया गया कि शासन को प्रस्ताव भेजा जायेगा। मंजूरी मिलने पर आवंटी रेस्टोरेशन लेवी के रूप में दी गई धनराशि के बराबर ही स्टांप ड्यूटी देगा।
अब औद्योगिक क्षेत्रों में भवन सील कर सकेंगे आरएम
उप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक अब औद्योगिक क्षेत्रों में मानक के विपरीत बने भवनों को सील करने के साथ तोड़ भी सकेंगे। उन्हें अवैध कब्जों को हटाने का अधिकार भी मिल गया है। निगम बोर्ड और उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण यूपीसीडा बोर्ड की बैठक में उन्हें यह अधिकार प्रदान किया। अब तक क्षेत्रीय प्रबंधक नगर निगम व अन्य विकास प्राधिकरण की मदद से कब्जे ढहाते रहे हैं।
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