लाकडाउन का आदेश सुना, जनता की पीड़ा से, सरकार हो गयी गाफ़िल है।
कोरोना मानव का ही नहीं, इसका वायरस व्यवस्था का भी कातिल है।
ओपीडी खुलने का आदेश नहीं, नर्सिंग होम भी बन्दी में शामिल हैं।
बिना डायलिसिस किडनी पेसेन्टों को, रोने के सिवा क्या हासिल है।
जाँच परीक्षण सर्जरी बन्द हैं, वैसे तो डाक्टर बहुत ही काबिल हैं।
बिना इलाज मरीज मर रहें, मजधार में डूबते को देखता साहिल हैं।
परिवार छोड़ समाज की सेवा करते, कोरोना कर्मवीर जिन्दा दिल है।
इन पर भी जो हमला करते, उनकी सोच तो बिल्कुल जाहिल है।
क्या करियेगा इन बेगानों में भी, कुछ अपने ही शामिल है।
दीवारों की इस साजिश में, दरवाजे भी शामिल हैं।
महिला का बैल गाड़ी खींचना दर्शाता है कि, देश का सिस्टम काहिल हैं
रेलवे पटरी पर मिली रोटियाँ चीख रही, इमदाद की बातें फाज़िल हैं।
ओपी यादव, पूर्व अध्यक्ष, सेन्ट्रल बार एसोसिएशन, रायबरेली।
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