बजट को लेकर बोले उद्यमी- व्यापारियों की राय
बजट में व्यापारी वर्ग को घोर निराशा जनक पेश किया गया। वित्त मंत्री ये भी बताने में असफल रहे कि नोटबंदी से लाभ क्या हुआ और कितना कालाधन आया। कैश लेस ट्रान्जेक्सन बढ़ाने के लिए बैंक चार्जेस खत्म करने की मांग व्यापारी की नहीं मानी गयी। इसके अलावा स्वंय सरकार में आने से पहले यह कहते रहें है कि आयकर की छूट ५ लाख होनी चाहिए? जिसके तीसरे बजट में भी पूरा नहीं कर सके। कुल मिलाकर आम बजट व्यापारी वर्ग एवं किसानों के लिए घोर निराशा जनक रहा है। नोटबंदी के कारण कारोबार तीन साल पीछे हो गया है। उसके बाद भी सबसे ज्यादा नुकसान व्यापारियों को है।
- अमरनाथ मिश्रा, वरिष्ठï महामंत्री, लखनऊ व्यापार मंडल
केन्द्र सरकार का बजट संतोषजनक है बहुत उत्साहवर्धक नहीं है, देश के व्यापारी एवं जनता से छूट की लिमिट ५ लाख किये जाने की उम्मीद कर रहे थे, किन्तु वित्त मंत्री ने केवल ५०,००० की लिमिट बढ़ाई। लेकिन ५ लाख तक की रकम पर ५ फीसद की दर रखने का स्वागत है। इसमें छोटे और मझोले व्यापारियों को लाभ पहुंचेगा। ५- १० लाख तक की आय पर १० फीसद की दर रखी जाती तो देश के ८० फीसद आयकर दाताओं को लाभ पहुंचता और सरकार के राजस्व में वृद्घि होती। राजनीति पार्टियों को चंदा पूर्णरूप से कैशलेस करने से भ्रष्टïाचार रूकेगा।
- संजय गुप्ता, प्रदेश अध्यक्ष, उ.प्र. आदर्श व्यापार मंडल
बजट काफी संतुलित है। आयकर के स्लैब में बदलाव होने से मध्यम व्यापारी को लाभ मिलेगा। बजट में बैंक ट्रांजेक्शन शुल्क को खत्म करना चाहिए था, जिससे कैशलेस व्यवस्था को गति मिलती और व्यापारियों को राहत। वहीं आयकर में ४ लाख तक छूट मिलती तो व्यापारी वर्ग नाराज न होता। राजनीतिक दलों की फंडिंग और टीडीएस को लेकर फैसला स्वागत योग्य है।
- हरिश चंद्र अग्रवाल, अध्यक्ष, लखनऊ व्यापार मंडल
बजट पूरी तरह से आम आदमी के विरोध में है। नोटबंदी से परेशान व्यापारियों को भी इसमें कुछ हासिल नहीं हुआ है। इसको लेकर विरोध किया जाएगा। आयकर ना के बराबर बढ़ाकर हिन्दुस्तान की १३२ करोड़ की जनता के साथ विश्वासघात किया है। देश की महिलाओं के लिए बजट में कुछ नहीं है। महिला कारोबारियों को आयकर में विशेष छूट नहीं दिये जाने से महिलाएं भी नाराज है। केंद्र सरकार का अडिय़ाल रवैय्या जनता देख रही है, चुनाव में जनता सबक सिखायेगी।
- संदीप बंसल, अध्यक्ष, अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल
कालाधन व्यापारी के पास नही बल्कि उन्हे प्रताडि़त करके रिश्वत लेने वाले के पास है जिसका बड़ा हिस्सा विदेशी बैंको पर है लेकिन ध्यान बंटाकर घर या कहे देश के ही व्यापारियो को प्रताडि़त किया गया। भारी जनादेश मे सबसे ज्यादा हिस्सा मध्यम और व्यापारी वर्ग का था, उसको कोई राहत नही है। व्यापारी आयोग, व्यापारी पेंशन, मरणोपरांत बीमा राशि इत्यादि मांग स्वीकार के आश्वासन के बाद भी बजट मे कोई जगह नहीं है। किसानों की आय दुगनी कैसे होगी? क्या फसल की पैदावार दुगनी होगी? या अनाज का भाव दुगना हो जायेगा? युवा और गरीबों को सुविधा देना उचित है लेकिन व्यापारी जो देश और प्रदेश की प्रगति मे भागीदार है उसके लिये सुविधा क्यो नहीं?
- श्याम मूर्ति गुप्ता, प्रदेश अध्यक्ष, उ.प्र.सीमेन्ट व्यापार संघ
बजट में प्रस्तुत की गयी सुविधाओं एवं संसाधनो का पूर्णता एवं भ्रष्टाचार मुक्त क्रियंवन से ही प्रधानमंत्री की आशाओ के अनुरूप सफलता पायी जा सकती है। इस पर सरकार को सतत निगरानी हेतु एक कार्यकारी तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है। राजनीतिक पार्टियों को आयकर दायरे में लाना एवं नकद चंदा राशि को दो हजार तक सीमित करना देश में बड़े परिवर्तन हेतु साहसिक एवं उल्लेखनीय कदम है। रेलवे के लिये नये स्टेशन बनाने की योजना एवं सात हजार रेलवे स्टेशनो को सौर ऊर्जा देने एवं 3500 किलोमीटर की नयी लाइनें बिछाने से जहां व्यवस्था में मूलभूत परिवर्तन होगा इससे उद्योगों का विकास एवं रोजगारों का सृजन होगा।
- प्रशांत भाटिया, प्रभारी, लघु उद्योग भारती
झूठ का पिटारा है बजट नोट बंदी से सबसे ज्यादा परेशान होने वाले व्यापारी तब भी आम बजट में व्यापारियों के लिए कुछ भी राहत नही दी टैक्स स्लैब पांच लाख तक छूट भी नही है। जीएसटी मे व्यापारीयों का बीमा होना चाहिए तथा 5 लाख तक छूट होनी चाहिए थी। करेंट एकाउंट से निकासी की सीमा समाप्त की जाए और जीएसटी मे पेंशन की सुविधा हो। – शौकत अली, अध्यक्ष, एलडीए परिक्षेत्र व्यापार मंडल
इम्पोर्ट ड्यूटी में कोई बदलाव नहीं, दो लाख की कैश ट्रांजक्शन पर पैन कार्ड लागु रहेगा, तीन लाख से ऊपर कोई कैश ट्रांजंक्शन नहीं कर सकते, जिस कंपनी की टर्नओवर 50 करोड़ से ऊपर है उनको 5 फीसद टैक्स की छूट दी गई जो की पहले 30 थी वो 25 लगेगी। बजट में आखिर बताना क्या चाहा गया, ये बात कुछ हजम होती नहीं बनती है।
- विनोद महेश्वरी, मीडिया प्रभारी, लखनऊ व्यापार मंडल
ट्रांसपोर्ट और अन्य क्षेत्र में व्यपारी लाखों रुपये का लेन- देन नगदी में करते हैं। यह कारोबार किसानों से होता है। ऐसे में कैश में ही लेन- देन होता है। व्यापार व्यस्था चरमराई है और हालात सामान्य होने में अभी काफी समय लगेगा। व्यापारी समाज बजट में बिलकुल नाखुश है और इसका जवाब केंद्र सरकार को मिलेगा।
- सोहेल हैदर अल्वी, अध्यक्ष, फैजाबाद रोड व्यापार मंडल
मोदी सरकार ने तीसरे बजट में भी व्यापारियों को निराश किया है। मेरा मानना है कि यदि बैंकिंग ट्रांजेक्शन को नि:शुल्क किया जाता तो ना केवल व्यापार को गति मिलती बल्कि अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता। लेकिन सरकार ने आयकर स्लैब में बदलाव करके थोड़ी राहत दी है, जिससे मध्यम वर्ग को नामात्र लाभ मिलेगा। क्योंकि आयकर केवल साल में एक बार दिया जाता है।
- मनीष गुप्ता, अध्यक्ष, डालीगंज व्यापार मंडल
व्यापारियों को पहले भी कभी राहत नहीं मिली है तो अब भी उम्मीद नहीं थी। लेकिन ३ लाख के ऊपर कैश लेन-देन पर पाबंदी से व्यापार पर असर तो जरूर होगा। आम आदमी की तरह सोचा जाए तो बजट लोकलुभावना नहीं है, लेकिन राहत देने की कोशिश जरूर की है। रेलवे में आये दिन हादसे को देखते हुए सुरक्षा के लिहाज से जो कदम उठाएं गए है, जो तारिफ के काबिल है।
- देवेन्द्र गुप्ता, अध्यक्ष, भूतनाथ व्यापार मंडल
बजट संतुलित है। कारपोरेट जगत को छूट और आम व्यापारियों को चोट पहुंचायी गयी है। कहीं टैक्स में छूट तो कही कैशलेस की लेनदेन पर लिमिट व्यापार में बाधा बनेगी। हालांकि खुशी की बात ये रही है कि बजट लोक लुभावना नहीं था। जिससे बाद में लोगों को निराशा होती। लघु उद्योग और किसानों को जो राहत देने की कोशिश है, वो जमीन पर दिखे तो अच्छा है।
- राजेन्द्र अग्रवाल, कार्यावाहक अध्यक्ष, लखनऊ व्यापार मंडल
नोटबंदी से पहले ही कारोबार ठप पड़ा है, अब बजट में भी ध्यान नहीं दिया गया। व्यापारियों के साथ इस धोखे का परिणाम केंद्र सरकार को चुनाव में भुगतना पड़ेगा। व्यापारियों की सारी उम्मीदों पर बीजेपी ने पानी फेर दिया। व्यापारियों को राहत देने के लिए बजट में बैंक चार्जेस खत्म करते तो व्यापार को गति मिलती। पीएम मोबाइल बाटुआ कहते थे उसी को महंगा करके व्यापारी की खाल नोचने का काम किया है। व्यापारी समाज बजट का बहिष्कार करता है।
- पवन मनोचा, व्यापारी नेता
बजट व्यवसायी के समझ में ना आने वाला है। हर तरफ से निराशा हाथ लगी है। बजट को भविष्य के लिए बताया जा रहा है, लेकिन जो अभी समझ के परे है उसमें आगे की क्या रणनीति होगी। बजट में हर वर्ग के लिए भ्रम की स्थिति पैदा करने की कोशिश की गयी है। इस बजट से व्यापारियों में काफी निराशा है।
- जितेन्द्र चौहान, व्यापारी नेता, अमीनाबाद
२ करोड़ के टर्नओवर पर ८ फीसद के स्थान पर 6 फीसद गणना किए जाने का स्वागत करता हूं। यह गणना ३ फीसद के हिसाब से होनी चाहिए। स्टार्टअप कम्पनियों के लिए ७ साल की छूट कैपिटल गेन टैक्स की अवधि ३ साल की जगह २ साल किए जाने का स्वागत करता हूं। व्यापारी एवं जनता छूट की लिमिट ५ लाख किये जाने की उम्मीद कर रही थी, लेकिन उम्मीदों पर पानी जरूर फिरा, लेकिन राहत जरूर मिली।
- आशीष गुप्ता, अध्यक्ष, उ.प्र युवा आदर्श व्यापार मंडल
देश के सर्राफा कारोबारियों को परेशान करने वाला बजट है। व्यापारियों को नोटबंदी के बाद उम्मीद थी कि शायद अब बजट के माध्यम से मरहम लगाने का कार्य किया जाएगा, लेकिन ये उम्मीद भी नाउम्मीद ही रही। देश के कारोबार को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोई विशेष बात सामने नहीं आने से निराश हूं। ऊपर से आयकर में ५ लाख तक की छूट की मांग को भी लगातार अनदेखा किया गया है।
- मनीष वर्मा, अध्यक्ष, अवध सर्राफा एसोसिएशन
व्यापारियों को बजट से जितनी राहत की उम्मीद थी वो पूरी नहीं हुई। व्यापारियों को यदि वाकई राहत देनी होती तो बजट में बैंक चार्जेस को पूरी तरह खत्म करते। इसके अलावा नोटबंदी के बाद आयकर के स्लैब को लेकर उम्मीद थी कि ५ लाख तक शून्य होगा, लेकिन सरकार ने उस ओर भी कोई खास राहत नहीं दी। ट्रेन को छोड़कर सामाजिक सुरक्षा को लेकर भी कोई चर्चा नहीं हुई, जो हर वर्ग में चिंता का विषय है।
- उमेश पाटिल, अध्यक्ष, मराठी व्यापारी एसोसिएशन
बजट में हर वर्ग को जगह दी है। आयकर में जो छूट मिली है, मैं उसका स्वागत करता हूं। राजनैतिक पार्टियों के चंदे पर जो पाबंदी लगाई गयी है, उससे वाकई भ्रष्टïाचार पर लगाम लगेगी और इस फैसले के बाद से मुझे ये तो यकिन हो गया है कि मोदी सरकार की बदलाव की नियति में कोई संदेह नहीं है। बजट में नोटबंदी के चलते चौपट हो चुके रियल इस्टेट के कारोबार को सहारा देने की बात से मुझे खुशी है।
- संजय कपूर, अध्यक्ष, अमीनाबाद व्यापार संघ
व्यापारी हित में बजट नहीं है। कैशलेस व्यवस्था को जो बढ़ावा देने का प्रर्यास किया गया है, उससे व्यापारी समाज असंतुष्टï है। स्वंय सरकार में आने से पहले वित्त मंत्री कहते रहें है कि आयकर की छूट ५ लाख होनी चाहिए? जिसको वो अपने बजट में ही शामिल नहीं कर सके। कैश लेस ट्रान्जेक्सन बढ़ाने के लिए बैंक चार्जेस खत्म करने की मांग व्यापारी की नहीं मानी गयी।
- ए.के. पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष, संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल उ.प्र
बजट में मोदी ने राहत देने की कोशिश जरूर की है, लेकिन मिली नहीं है। कैशलेस व्यवस्था को जोर देने के लिए ३ लाख की लिमिट से किसानों को सबसे ज्यादा दिक्कतें बढ़ेगी। डिजीटल पेमेंट के चलते केवल आम लोगों को परेशान करने की साजिश है। इससे महंगाई बढ़ेगा और जनता को त्राहि- त्राहि करेगी। भाजपा सरकार लोगों की सिर दर्दी बढ़ा रही है।
- प्रदीप अग्रवाल, महामंत्री, लखनऊ सर्राफा एसोसिएशन
रेलवे के लिये नये स्टेशन बनाने की योजना एवं सात हजार रेलवे स्टेशनो को सौर ऊर्जा देने एवं 3500 किलोमीटर की नयी लाइनें बिछाने से जहां व्यवस्था में मूलभूत परिवर्तन होगा इससे उद्योगों का विकास एवं रोजगारों का सृजन होगा। देश के विकास के लिए आयकर स्लैब में छूट मिली है उसका मैं स्वागत करता हूं। व्यापारियों को कोई विशेष राहत न मिलने से आहत हूं।
- कन्हैयालाल मौर्या, महामंत्री, लखनऊ शराब एसोसिएशन
नोटबंदी के बाद पहला बजट और पांच राज्यों के चुनाव से पूर्व, विपक्ष के तमाम विरोधों के बावजूद एक माह पहले पेश होने वाले बजट में गरीबों और नोटबंदी से प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने के कयास लगाये जा रहे थे, लेकिन वित मंत्री ने ऐसा कुछ नहीं किया। नोटबंदी के झटके के बाद कमजोर विकास दर के चक्र में फंसी देश की इकोनॉमी के लिए इस कठिन समय में सरकार ने बहुत ही साधारण बजट पेश किया।
- अबुबकर इदरीसी, प्रदेश अध्यक्ष, उ.प्र. सामाजिक व्यापार मंडल
बजट में ग्रामीण भारत के खर्च करने की क्षमता और उनकी आर्थिक जरूरतों में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित किया है। इस बजट में सरकार ने राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण के साथ बुनियादी सुविधाओं के विकास, किसानों की आय में सुधार, सभी के लिए किफायती आवास और डिजिटलीकरण को बढ़ाने पर जोर दिया है। इसके अलावा सबसे बेहतरीन निर्णय ये है कि रेल में सुरक्षित सफर के लिए अलग से फंड दिया गया है। व्यक्तिगत आयकर में छूट से उपभोक्ता की खरीद क्षमता बढ़ेगी और इससे उपभोक्ता आधारित उद्योगों और सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा।
- राजबाबू रस्तोगी, प्रदेश अध्यक्ष, संयुक्त व्यापार मंडल उ.प्र.
व्यापारी को बजट में कुछ नहीं मिला। मध्यम वर्गीय व्यापारियों को राहत मिली है। फायदा केवल कारपोरेट जगत को दिया गया है बाकियों की अनदेखी हुई है। इस बार का बजट कारोबार जगत की उम्मीद पर खरा नहीं उतरा है। व्यापारियों में काफी निराशा है। आयकर की छूट ५ लाख करनी चाहिए थी, जिससे नोटबंदी में जिन कारोबारियों को नुकसान हुआ है, उसपर मरहम लग जाता।
- सुरेश छब्लानी, प्रवक्ता, अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल
बुनियादी ढांचा क्षेत्र तथा कारोबार सुगमता पर विशेष ध्यान दिया गया है जिससे रोजगार बाजार पर सकारात्मक असर होगा। यह सरकार की रोजगार सृजन की सोच के अनुकूल है। सरकार ने बजट में डिजिटलीकरण, कामकाज और राजनीति में पारदर्शिता, महिलाओं और युवाओं को सशक्त करने, शिक्षा की गुणवत्ता, ग्रामीण भारत पर जोर दिया है। सीधे- सीधे बजट युवाओं के लिए पर्यटन, फुटवियर और कपड़ा उद्योग में रोजगार का संकेत देता है।
- ओपी आहूजा, अध्यक्ष, अवध व्यापार मंडल
टैक्स स्लैब में कर्मचारियों के लिए जो छूट दी गई है उसे बढ़ाया जाना चाहिए था। व्यापारियों को 5 लाख रुपये तक की कमाई पर टैक्स में छूट दी जानी चाहिए थी। यह हम लोगों के लिए नाकाफी है। कारोबारियों को सरकार द्वारा अलग से मूलभूत सुविधाएं दी जानी चाहिए थी। इससे जिस तरह दूसरे देशों में कारोबारी खुशी से टैक्स देते हैं, भारत में भी देंते। सरकार टैक्स में छूट देने के साथ टैक्स देने वालों का भी ध्यान रखे।
- राकेश छाबड़ा पम्मी, अध्यक्ष, प्रताप मार्केट अमीनाबाद
बजट में किसी के हित की बात नहीं हुई सब लालीपॉप जैसा है। नोटबंदी के बाद कारोबार की कमर टूटी है, उसको सुव्यवस्थित करने का प्रर्यास तक नहीं किया गया है। पूरा ध्यान कारपोरेट सेक्टर पर दिया गया है, जिसका हम व्यापारी समाज पूरजोर विरोध करता है। तीन लाख से ज्यादा कैश ट्रांजेक्शन की इजाजत नहीं होने से छोटे व्यवसायियों को परेशानी होगी। सरकार ने इस बजट में प्रस्तावित कैपिटल टैक्स को नजरअंदाज कर व्यापारियों पर बहुत बड़ा उपकार किया है।
- राजेश सोनी, महासचिव, लखनऊ व्यापारी एसोसिएशन
50 करोड़ तक के सालाना टर्न ओवर वाले व्यापारियों को भी टैक्स में 5 प्रतिशत की छूट दी गई है। इस बजट में विशेष रियायत की घोषणा होगी, परंतु सरकार द्वारा किसी विशेष छूट का प्रावधान नहीं किया गया। लघु तथा मध्यम उद्योगों को कारपोरेट टैक्स में पांच प्रतिशत की छूट दी गयी है, लेकिन इसमें ज्यादा छूट की उम्मीदें थी।
- अशोक भाटिया, उपाध्यक्ष, लखनऊ आदर्श व्यापार मंडल
मुद्रा लोन में २ लाख ४४००० करोड़ रुपये बजट में प्रस्तावित करने से छोटे एवं मझोले व्यापारियों को सुविधा होगी तथा उनका व्यापार बढ़ेगा। व्यापारियों को दैवीय आपदा राहत कोष एवं व्यापारी पेंशन की उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
- मो. अफजल, प्रदेश कोषाध्यक्ष, उ.प्र. आदर्श व्यापार मंडल
आयकरदाताओं को अतिरिक्त सुविधाएं एवं सामाजिक सुरक्षा, जैसे शिक्षा एवं चिकित्सा मुफ्त होनी चाहिए तथा आयकरदाताओं को स्वास्थ्य बीमा भी देना चाहिए। ऐसा करते तो लोग आयकर देने में संकोच नहीं करते और लोग कर की चोरी भी नहीं करते। इसके अलावा इस बजट में महिलाओं की काफी अनदेखी हुई है, खासकर महिला उद्यमी- व्यापारियों की, उनकी आशाओं पर बजट खरा नहीं है।
- हरिजिन्दर सिंह, वरिष्ठï उपाध्यक्ष, उ.प्र. आदर्श व्यापार मंडल