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आवंटन को बीते 10 वर्ष, उद्योग का पता नहीं

  • क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय, सूरजपुर की स्थिति दयनीय, बातों में उलझा रहे अधिकारी
  • वर्षों बाद भी ग्रेटर नोयडा में 520 भूखंडों और आगरा में 277 पर स्थापित नहीं हुये उद्योग
  • वेबसाइट पर मौजूद नहीं औद्यागिक क्षेत्रों की जानकारी

UPSIDC copyशैलेन्द्र यादव

लखनऊ। सूबे में औद्योगिक इकाईयों की स्थापना के लिये समय-समय पर तमाम राज्य सरकारों ने नई औद्योगिक नीतियां, कार्यक्रम, योजनायें व सुविधायें प्रारम्भ की। पर, इनमें से कुछ परवान चढ़ी, तो कई अपना उद्देश्य पूरा करने से पूर्व ही दम तोड़ रही हैं। उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास निगम के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों की लगभग 700 एकड़ भूमि आवंटित हुये वर्षों बीत गये, पर इन भूखण्डों पर औद्योगिक इकाईयों की स्थापना नहीं हुई हैं। राष्टï्रीय राजधानी परिक्षेत्र में आने वाले जिस सूरजपुर औद्योगिक क्षेत्र को इंट्रीगेटेड क्षेत्र के रूप में विकसित करने की योजना बनी थी, उसी औद्योगिक क्षेत्र में 276 आवंटी ऐसे हैं जिन्हें दस वर्षों पूर्व भूखण्ड आवंटित हुये, लेकिन इन्होंने उद्योग नहीं लगाये। क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय सूरजपुर द्वारा बीते पांच वर्ष से अधिक और दस वर्ष के बीच आवंटित किये गये भूखण्डों के आंकड़ों पर गौर करें, तो 228 आवंटी ऐसे हैं जिन्होंने अब तक अपनी औद्योगिक इकाईयों नहीं लगाई हैं।

बावजूद इसके निगम का जिम्मेदार तंत्र इन निवेशकों को समय विस्तार पर समय विस्तार देता रहा है। यूपीएसआईडीसी के बुलंदशहर, गाजियाबाद, कानपुर, फिरोजाबाद, झांसी, फैजाबाद समेत कई जनपदों के औद्योगिक क्षेत्रों में ऐसे भूखण्डों को देखा जा सकता है। राज्य के विभिन्न महानगरों और जनपदों में स्थापित इन औद्योगिक क्षेत्रों के बदहाल भूखण्ड चीख रहे हैं कि हमें उद्योग स्थापित करने के लिये आवंटित नहीं किया गया, बल्कि औद्योगिक भूखण्डों की खरीद-फरोख्त करने वाले निवेशकों के हाथों हमारा सौदा हुआ है। नतीजतन, सैकड़ों भूखण्डों पर आवंटन के 10 वर्ष बीतने के बावजूद औद्योगिक इकाईयों की स्थापना नहीं हो सकी है। भूखण्ड खाली पड़े हैं और जिम्मेदार शासन-प्रशासन सूबे में भारी औद्योगिक निवेश लाने की बात कर खुद की पीठ थपथपाते रहे हैं।

बीते दिनों यूपीएसआईडीसी प्रबंध तंत्र ने लगभग 10 प्रतिशत ऐसे आवंटियों के आवंटन रद्द किये हैं जो वर्षों से भूखण्ड पर उद्योग स्थापित नहीं कर रहे थे। निगम की यह पहल उद्योगहित में सार्थक होगी या नहीं, यह तो वक्त बतायेगा। पर, सवाल उठना लाजिमी है कि बेरोजगार, बाजार और सरकार के लिये आॢथक उन्नति का पर्याय औद्योगिक इकाईयों की स्थापना पर जिम्मेदारों की लापरवाही क्यों भारी पड़ती रही है। एनसीआर के ग्रेटर नोयडा की स्थिति जब यह है, तो शेष सूबे का अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है।

ऑनलाइन आवंटन की तैयारी
रिक्त पड़ें औद्योगिक भूखण्ड खास लोगों को औने-पौने दाम पर बेचने के प्रकरण चॢचत हुये। बीते दिनों रिक्त भूखण्डों के आवंटत हेतु अब आनलाइन प्रक्रिया शुरू होगी। इसके तहत वेबसाइट पर भखण्ड की कीमत व क्षेत्रफल सहित पूरा ब्योरा सार्वजनिक होगा। उद्यमी नीलामी और कीमत का भुगतान भी आनलाइन करने की चर्चा है। यह व्यवस्था उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास निगम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, लीडा, गीडा, प्राधिकरणों में लागू करने की योजना है। उद्यमियों की मानें तो औद्योगिक भूखण्डों की कीमत, क्षेत्रफल व लोकेशन की सही जानकारी न होने के प्रकरण अक्सर चर्चा का विषय बनते रहे हैं, उद्यमियों ने जिसकी शिकायतें भी की हैं।

औद्योगिक भूखंड आवंटन की नई नीति मंजूर
यूपीएसआइडीसी की बोर्ड बैठक में कई अहम निर्णय लिये गये हैं। भूखण्उों के आवंटन की नई नीति को मंजूरी मिली। निगम चालू वित्तीय वर्ष में करीब तीन सौ हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करने की तैयारी कर रहा है। साथ ही एक हजार करोड़ रुपये से औद्योगिक क्षेत्रों का कायाकल्प कराया जायेगा। वहीं, भूखण्डों के आवंटन, विभिन्न शुल्कों की वसूली की जायेगी। आय का लक्ष्य एक हजार करोड़ रुपये की आय का लक्ष्य है। बैठक में चालू वित्तीय वर्ष के आय-व्यय के बजट को मंजूरी मिली। यूपीएसआइडीसी से भूखण्ड लेने के बाद लोग बिना इकाई की स्थापना के ही इसे बेच देते थे, इस पर यूपीएसआईडीसी ने प्ररोक लगाने का निर्णय लिया गया है। भूखण्ड के कुल क्षेत्रफल के 30 फीसद हिस्से पर औद्योगिक इकाई लगाये बिना कोई भी आवंटी अब भूखण्ड बेच नहीं सकेगा। विज्ञापन नीति को भी मंजूरी मिली।

आवंटन के वर्षों बाद नहीं लगे उद्योग
यूपीएसआईडीसी के क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय सूरजपुर के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में दस वर्ष पूर्व जिन आवंटियों को भूखण्ड आवंटित हुये और उन्होंने अब तक अपनी औद्योगिक इकाईयों की स्थापना नहीं की है उनकी संख्या 276 है, जबकि पांच से दस वर्ष के बीच भूखण्ड लेकर उद्योग स्थापित न करने वाले आवंटियों की संख्या 228 है। वहीं आगरा में 124, बागपत में 124, कानुपर जैनपुर में 115, रूमा में 44, मलवा में 42, भरुआ सुमेरपुर झांसी में 94, गाजियाबाद में 65 और फैजाबाद में 24 भूखण्ड ऐसे हैं जो दस वर्ष पूर्व आवंटित किये गये, पर यहां अब तक उद्योग नहीं लगे हैं।

mayankआवंटियों को अधिकतम 10 वर्षों का समय देने की पहले व्यवस्था थी। पर, अब नई व्यवस्था के तहत ऐसे उद्यमियों का आवंटन आगामी दो माह में रद्द कर दिया जायेगा। मुख्यालय से गाइड लाइन का इन्तजार है।

मयंक श्रीवास्तव, आरएम सूरजपुर, यूपीएसआईडीसी

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