हम सभी ने अपने जीवन में कभी ना कभी दवाइयों का सेवन किया होगा लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि कैप्सूल दो रंगों का क्यों होता है?? आमतौर पर लिया जाने वाला कैप्सूल हमेशा से ही दो रंगो का होता है लेकिन हम में से कई लोग इस बात पर ध्यान नहीं देते।
हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों कैप्सूल में दो रंग होते हैं।
दरअसल कैप्सूल दो भागों में विभाजित होता है जिसमें से एक भाग बड़ा और दूसरा भाग छोटा होता है। बड़ा भाग कैप्सूल का कंटेनर होता है और छोटा भाग उसकी कैप होता है। जब भी कैप्सूल को फिल किया जाता है तो कंटेनर वाले भाग को मशीन में लगा दिया जाता है और दवाई को जब इसके अंदर डाला जाता है उसके बाद कैप को इसमें मशीन के द्वारा ही फिक्स किया जाता है। इस काम में कोई गड़बड़ी ना हो इसीलिए कैप्सूल को दो रंग में विभाजित किया जाता है।
दूसरा कारण ये माना जाता है कि रंगबिरंगा होने की वजह से बच्चे इस दवाई को आसानी से खा लेते हैं मुख्य तौर पर कैप्सूल विभिन्न रंगों का भी बनाया जाता है।
तीसरा कारण ये माना जाता है कि अलग-अलग दवाइयों को विभाजित करने के लिए इन्हें अलग-अलग रंग का बनाया जाता है ताकि बनाते समय इस बात का पूर्ण रुप से ध्यान रहे कौन सी दवाई कितनी मात्रा में डाली गई है।
तो अब आपको पता चल ही गया होगा की कैप्सूल दो रंगों के क्यों होते हैं।